Chhattisgarh News: छतीसगढ़ की पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की कई योजनाओं को अब ग्रहण लगता नजर आ रहा है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत भी गौठानों में वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण अब पूरी तरह से बंद हो चुका है. अब इन गौठानों में करीब 10 हजार क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद बिक्री के अभाव में पड़ा हुआ है. अब इसकी बिक्री होगी भी या नहीं इसपर असमंजस की स्थिति बनी है. दरअसल महिला स्व सहायता समूह के द्वारा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गौठानों में वर्मी कंपोस्ट खाद बनाया जा रहा था.


वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने से हो रही थी अच्छी आय 
वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने से महिला स्व सहायता समूह को इससे अच्छी आय भी हो रही थी. बस्तर जिले में पिछले 4 सालों में ही करीब 6 करोड़ से ज्यादा का वर्मी कंपोस्ट खाद स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बेचा था. लेकिन अब ना तो गौठानों में खाद बनाया जा रहा है और ना ही यहां बनी रखी हुई खाद की बिक्री को लेकर प्रशासन कोई ध्यान दे रहा है. ऐसे में अब वर्मी कंपोस्ट खाद बेचने की योजना आधार में लटक गई है. इसको लेकर कोई जिम्मेदार अधिकारी उचित जवाब भी नहीं दे रहा है.


270 गौठानों में 10 हजार क्विंटल जाम पड़ा है खाद 
अब मिट्टी प्रशिक्षण कार्यशाला में वर्मी कंपोस्ट खाद की जांच भी बंद हो गई है. वहीं दूसरी ओर गौठानो में महिलाओं द्वारा बनाई गई वर्मी कंपोस्ट खाद की बिक्री भी करीब-करीब बंद हो गई है. मिट्टी परीक्षण कार्यालय के सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी जे.पी नेताम ने बताया कि इस लैब में मिट्टी में मौजूद तत्वों के साथ ही वर्मी कंपोस्ट की जांच भी की जा रही थी, लेकिन पिछले करीब एक महीने से ज्यादा का समय हो गया और वर्मी कंपोस्ट जांच बंद हो गई है. जांच बंद होने से बस्तर और अन्य जिलों से वर्मी कंपोस्ट खाद का सैम्पल आना भी बंद हो गया है. आपको बता दें कि वर्मी कंपोस्ट के खाद का फायदा किसानों को मिलता है. लेकिन अब यह फायदा आने वाले दिनों में किसानों को मिलेगा या नहीं इस पर आशंका बनी हुई है.


4 साल में बिकी 6 करोड़ की वर्मी कंपोस्ट खाद
बस्तर जिले में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 270 गौठानो में वर्मी कंपोस्ट खाद का उत्पादन किया जा रहा था. 2020 से संचालित इस योजना में अब तक महिला समूह द्वारा 78 हजार 570 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई और 10 रुपए प्रति किलो के रेट पर करीब 6 करोड़ रुपए का खाद बेच दिया था. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद खाद के उत्पादन और बिक्री में कमी होने लगी, इस बात की पुष्टि इसी से होती है कि पिछले 3 महीनो में 10 हजार क्विंटल खाद इन गौठानो में बची पड़ी है. वहीं अब खाद बिकेगी या नहीं इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.


लैब में टेस्ट के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद का नमूना आना हुआ बंद
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वर्मी कंपोस्ट खाद की जांच लगातार हो रही थी. हर साल 200 से अधिक नमूने जांच के लिए लैब में आते थे. लेकिन पिछले 9 महीने में जांच के लिए केवल 50 नमूने ही पहुंचे,  अप्रैल 2023 से लेकर दिसंबर 2023 तक नारायणपुर जिले से एक भी नमूना नहीं आया. बस्तर संभाग के अन्य जिलों से भी धीरे-धीरे वर्मी कंपोस्ट खाद के नमूने आने बंद हो गए है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बस्तर में वर्मी कंपोस्ट खाद बेचने की योजना पूरी तरह से अधर में लटक गई है.


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