Chhattisgarh: अमरजीत भगत की विधानसभा के कई गांव हैं विकास से महरूम, बिजली-पानी और सड़क तक नहीं
Ambikapur: अमरजीत भगत पूरे प्रशासनिक अमले के साथ पैदल आमापानी गांव पहुंचे. यहां शिविर लगाकर लोगों की समस्या सुनी. साथ ही समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने प्रशासन को जिम्मा सौंपा.
Ambikapur News: सूबे के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत Amarjeet Bhagat() काफी दिनों से अपने विधानसभा में चहलकदमी कर रहे हैं. चुनाव नजदीक है इसलिए वो लगातार लोगों का हाल चाल जान रहे हैं. अमरजीत भगत सीतापुर (Sitapur) विधानसभा से विधायक हैं. यहां के मैनपाट (Mainpat), बतौली (Batauli) और सीतापुर में आज भी कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां सड़क बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं लोगों ने देखी ही नहीं है.
चुनावी साल है. ऐसे में अमरजीत भगत का समस्या समाधान का ये प्रयास रंग जरूर ला सकता है, लेकिन ये जानना बेहद जरूरी है कि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत इसी सीतापुर विधानसभा से चार बार विधायक चुने गए हैं. प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार आई तो पिछले चार साल में प्रदेश के सबसे दमदार मंत्री बनकर उभरे. सरगुजा जिले की सीतापुर विधानसभा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. पिछले चार बार से अमरजीत भगत यहां से विधायक हैं.
चार बार के विधायक
अमरजीत भगत ने तीन साल विपक्ष में रहने के दौरान सार्वजनिक मंच से ये कहा था कि सरकार तो आने दो. सब ठीक हो जाएगा. 2018 में वो चौथी बार विधायक बने. फिर सरकार बनते ही प्रदेश के कद्दावर मंत्री बन गए. लेकिन उन्हें मंत्री बने चार साल बीत गया. अब चंद महीनों में फिर से चुनाव होने वाले है, लेकिन अमरजीत भगत की विधानसभा में अब भी कई गांव हैं. जहां तक उन्हें और प्रशासन को पैदल ही जाना पड़ता है. यहां के लोग आजादी के बाद भी असुविधाओं की जंजीर मे बंधे हुए हैं.
असुविधाओं के चंगुल में गांव
दरअसल, शनिवार को खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को पूरे प्रशासनिक अमले के साथ बांसाझाल के आमापानी गांव जाना था, लेकिन यहां तक गाड़ी मोटर पहुंचने का रास्ता नहीं है. इसलिए उनके साथ पूरा प्रशासनिक अमला पैदल गांव तक पहुंचा. पहाड़ में बसे 110 घर के इस आमापानी बस्ती में करीब 500 पहाड़ी कोरवा विशेष जनजाति के लोग रहते हैं. ये राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं. इस गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. पीने के पानी के लिए ना हैंडपंप है और ना कोई अन्य साधन. इतना ही नहीं गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है. सरकारी राशन लेने के लिए सभी को नीचे उतरना पड़ता है. फिर राशन लेकर पहाड़ चढ़ना पड़ता है. यही नहीं गांव मे कोई बीमार पड़ गया तो उसको ब्लाक मुख्यालय बतौली तक ले जाने के लिए खाट को ही स्ट्रेचर बनाना पड़ता है.
मंत्री और कलेक्टर की अगुवाई में लगा शिविर
आमापानी गांव में मंत्री अमरजीत भगत और कलेक्टर कुंदन कुमार पूरे प्रशासनिक अमले के साथ पैदल पहुंचे. यहां शिविर लगाकर लोगों की समस्या सुनी गई. यहां बिजली, पानी, सड़क, राशन, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याएं सामने आई. इन समस्याओं के समाधान के लिए मंत्री अमरजीत भगत ने प्रशासन को जिम्मा सौंपा. कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि आमापानी गांव दुर्गम क्षेत्र है. यहां की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. दुर्गम होने के कारण बारिश से पहले अभी से गांव में बेहतर व्यवस्थाएं देने की कोशिश की जाएगी. कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा कि एम्बुलेंस आना कठिन है इसलिए यहां बाइक एम्बुलेंस दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि यहां साधारण बोरिंग नहीं हो सकती. इसलिए ग्रेवल पैक मशीन के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही पीडीएस की दुकानों को गांव में ही संचालित कराने की व्यवस्था की जाएगी. कलेक्टर ने बताया कि सड़क के काम में सर्वे जैसे तमाम काम करने पड़ेंगे. कुछ समय में इसके लिए भी काम किया जाएगा.