Ambikapur News: अंबिकापुर सेंट्रल जेल में क्षमता से दोगुने ज्यादा कैदी, एक महिला डॉक्टर के भरोसे पूरी व्यवस्था
Ambikapur: अंबिकापुर के सेंट्रल जेल में क्षमता से अधिक कैदी हैं. यहां सभी कैदी केवल एक महिला डॉक्टर पर निर्भर हैं. इस जेल में 2400 कैदियों को रखा गया है, जबकि इसकी क्षमता 1020 कैदियों की है.
Ambikapur Central Jail: सरगुजा संभाग की सबसे अधिक क्षमता वाली अंबिकापुर सेंट्रल जेल में स्थिति इन दिनों सामान्य नहीं है. भीषण गर्मी के बीच केंद्रीय जेल में कैदियों की मौत का सिलसिला जारी है. इस असामयिक मौत के सिलसिले को रोकने के लिए जेल प्रबंधन कोई कारगर प्रयास नहीं कर रहा. केंद्रीय जेल में पिछले चार साल में मौत के आंकड़े जेल में डॉक्टरों की कमी की खुद गवाही दे रहे हैं.
क्षमता से अधिक कैदी और डाक्टर एक
अंबिकापुर स्थित केंद्रीय जेल में व्याप्त असुविधाओं की चर्चा सबने सुनी होगी. इन असुविधाओं से सबसे अधिक परेशानी यहां निरुद्ध कैदी को हो रही है. अगर इस जेल में कैदियों की संख्या की बात करें तो फिलहाल इस जेल में 2400 कैदी को रखा गया है. जबकि रिकार्ड के मुताबिक इस जेल की क्षमता 1020 कैदियों को रखने की है.
इतना ही नहीं क्षमता से अधिक इन कैदियों की स्वास्थ्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जेल के भीतर एक ही डॉक्टर उपलब्ध हैं और वो डॉक्टर भी महिला डॉक्टर है. जिससे इतनी क्षमता वाले इस जेल में कैदियों का उपचार करना कठिन काम है.
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मौत के आंकड़े
जेल में एक डॉक्टर की मौजूदगी के कारण जेल में जहां मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो वहीं गंभीर मरीजों को अक्सर इलाज के लिए जेल के बाहर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. इलाज में लेटलतीफी के कारण कभी-कभी मौत भी हो जाती है. ऐसे में पिछले चार साल के आंकड़ों की बात करें तो 2019 में 9 कैदी, 2020 में 9 कैदी, 2021 में 7 कैदी और इस सत्र 2022 में अब तक एक ही महीने में 4 कैदियों की मौत हो चुकी है.
जेल प्रबंधन की ये है दलील
जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड ने बताया कि जेल में अभी एक ही डॉक्टर है. इससे जेल के सभी कैदियों को देखना मुश्किल काम है. इस मसले को लेकर कई बार लेटर लिखा गया. तब कुछ डॉक्टर आए थे. एक दिन आते हैं और कैंप लगाकर चले जाते हैं. जेल के लिए एक रेगुलर डॉक्टर की बहुत आवश्कता है. जेल में 175 महिलाएं हैं. उन्हें लेडी डॉक्टर देख लेंगी.
2200 कैदियों को देखने के लिए पुरुष डॉक्टर चाहिए. कैंप लगाने वाले डॉक्टर एक-दो दिन आते हैं और दवाई देकर चले जाते हैं. इसलिए रेगुलर डॉक्टर चाहिए. जिससे हर रोज 10 फीसदी लोगों का टेस्ट हो सके. एक डॉक्टर होने की वजह से बहुत परेशानी होती है.
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