Chhattisgarh News: अगर बंदिशें और अनुशासन के साथ लोग अपना दायित्व भूल जाए तो छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल जैसी दर्दनाक घटनाएं सामने आती ही रहेंगी. इसी अनुशासन और कर्तव्य परायणता को बनाए रखने के लिए कुछ वर्ष पूहले जिला प्रशासन ने एक ऐप लांच किया था जिससे डाक्टर, नर्स समय पर भी आना शुरू कर दिए थे. तय वक्त के हिसाब से वार्ड का राउंड करना भी शुरू कर दिए थे. साथ ही पेशेंट इलाज को लेकर काफी खुश थे लेकिन कुछ समय उपयोग के बाद वो ऐप का उपयोग बंद कर दिया गया. जिसके बाद से लगातार डॉक्टर्स और स्टाफ की लापरवाही सामने आने लगी है. जिसका परिणाम है कि पिछले साल दो दिन में 7 नवजात की मौत हो गई थी. एक दिन पहले चंद मिनटों में चार नवजात की मौत ने सबको दहला दिया था.
आज की परिस्थितियों में ये ऐप था कारगर
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर्स और स्टाफ की मनमानी और सही समय में ड्यूटी ना आने की तमाम शिकायतों के बाद, तात्कालिक सरगुजा कलेक्टर किरण कौशल ने 2018 में DMAAA नाम का मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया गया था, जो एंड्रॉयड फोन पर काम करता था. इस ऐप में कौन डॉक्टर कितने समय ड्यूटी पर आया, कब गया, इसकी जानकारी अपलोड करने की सुविधा थी.
इसके साथ ही किस डॉक्टर ने कब, किस समय पर, किस मरीज को देखा, उसका क्या ट्रीटमेंट किया, ये सब रिकॉर्ड रखने का फंक्शन था, जो उन दिनों कुछ समय के लिए शुरू था. हालांकि बाद में कलेक्टर और तात्कालिक स्वास्थ्य अधिकारियों के तबादले के बाद ये ऐप ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. मतलब फिर इसका उपयोग ही जरूरी नहीं समझा गया.
कल 4 नवजात बच्चों की मौत से मचा हंगामा
गौरतलब है कि रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में देर रात लाइट कटने के बाद वेंटिलेटर पर रखे गए 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई. इस घटना के लिए मृत बच्चों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार बताया. वहीं अस्पताल में एक साथ चार नवजातों की मौत का मामला प्रदेशस्तर पर गूंजने लगा. बीजेपी ने अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन कर स्वास्थ्य मंत्री का पुतला फूंका. कलेक्टर सहित प्रशासनिक अमला दिनभर अस्पताल में ही डटा रहा. मेडिकल कॉलेज के डीन, स्वास्थ्य विभाग सहित पूरा प्रशासनिक अमला एक साथ चार मौत हो जाने की समीक्षा में जुटा रहा.
वहीं अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत की खबर के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुद रायपुर से अंबिकापुर हवाई मार्ग से पहुंचे और अस्पताल में पहुंचकर अस्पताल की भूमिका की पड़ताल की. इस घटना के लिए अस्पताल में लाइट कटने को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है, क्योंकि लाइट कटने के बाद वेंटिलेटर बंद हो जाने का आरोप लग रहे है. हालांकि, अस्पताल के डीन और प्रशासन ने लाइट कटने को बच्चों की मौत होने से कोई संबंध नहीं होना बताया. जिस मोबाईल एप्लीकेशन का जिक्र हमने इस खबर में किया है वो आज जिंदा होता तो अस्पताल में डॉक्टर्स की मनमानी नहीं होती. सबकुछ ठीक होता तो अस्पताल में बच्चों की मौत भी नहीं होती.