Chhattisgarh Latest News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा जिले में पर्यावरण संरक्षण मंडल की स्टेट कमेटी ने 38 से ज्यादा रेत घाटों में रेत खनन को अनुमति दी है. इसके लिए एक शर्त भी रखी गई है कि हर साल उनके द्वारा प्रति हेक्टेयर लीज के हिसाब से 200 पौधे लगाना होगा. रेत खदानों के लिए अनापत्ति पत्र मिले दो साल पूरे होने को है लेकिन रेत ठेकेदारों ने कहीं भी पौधे नहीं लगाए हैं. इसके बाद भी पर्यावरण मंडल ने अनुमति पत्र निरस्त नहीं किया. ना ही खनिज विभाग ने उसके पालन के लिए कोई कार्रवाई की. जिला प्रशासन के अफसरों ने भी इस ओर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
इस साल फिर दिए जाएंगे पौधे
रेत खदानों द्वारा पर्यावरण नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं. सूरजपुर सहित सभी जिले के अधिकारियों ने ठेकेदारों को फलदार पौधे दिए थे. ताकि नदी किनारे और दूसरे जगहों पर पौधा लगाया जाए. लेकिन उन पौधों को नहीं लगाया गया. सूरजपुर के खनिज अधिकारी संदीप नायक का कहना है कि उन्होंने एक हजार पौधे रेत ठेकेदारों को दिया था. अभी फील्ड में पौधे नहीं हैं. उन्होंने इसके लिए सभी ठेकेदारों को पत्र लिखा था. इस पर ठेकेदारों का कहना है कि पौधे लगाए थे. लेकिन मवेशी खा गए. इनके अलावा कई ठेकेदार पौधे लगाने के लिए जगह नहीं मिलने का बहाना बना रहे हैं. इस साल उन्हें फिर से पौधे दिए जाएंगे.
लगाने हैं 48 हजार पौधे
इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी खनिज विभाग ने पर्यावरण मंडल को किसी भी रेत खदान के लिए दिए गए अनापत्ति को निरस्त करने भी नहीं लिखा है. बता दें कि सरगुजा संभाग के सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा. तीनों जिलों में 120 हेक्टेयर में रेत खनन किया जा रहा है. वहीं प्रति हेक्टेयर 200 पौधे लगाने पर हर साल 24 हजार पौधे लगाने हैं. दो साल के लीज में कुल 48 हजार पौधे लगाकर उन्हें वृक्ष बनने तक देखरेख करना है. इसके बाद भी अफसर इसका पालन नहीं करा पा रहे हैं. वहीं संभाग स्तर पर मंडल के अफसर भी रेत खदानों के खिलाफ इसलिए कार्रवाई नहीं कर रहें हैं क्योंकि स्टेट कमेटी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया है.
नदियों कटान के लिए किया जा रहा प्रयास
गौरतलब है कि पर्यावरण मंडल की स्टेट कमेटी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के दौरान पौधा लगाकर उन्हें वृक्ष बनने तक देखरेख करने का शर्त रखा है. इसके बाद भी पर्यावरण मंडल के अफसरों ने किसी भी रेत खदान का पर्यावरण स्वीकृति को निरस्त नहीं किया और ना ही कोई जुर्माना लगाया.
दरअसल, रेत खदानों के लिए नदी के किनारे पौधरोपण बेहद जरूरी है ताकि नदियों का कटाव रोका जा सके. वहीं जगह नहीं होने पर संबंधित पंचायत की भूमि या सड़क किनारे पौधे लगाए जाने हैं. वहीं सुरक्षा के पूरे उपाय भी करना है लेकिन खनिज विभाग इस ओर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.
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