Ambikapur: गाय के पेट से निकला पांच किलो प्लास्टिक और दो लोहे की कील, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक गाय पेट दर्द से परेशान थी. जब डॉक्टरों ने जांच की तो वे हैरान रह गए. गाय के पेट में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और लोहे की कील पाई गई.
Ambikapur News: कचरे के ढेर में भोजन से प्लास्टिक के साथ लोहे की कील का सेवन कर लेने से जीवन और मौत से जूझ रही एक गाय (Cow) का पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने सफल ऑपरेशन कर लिया है. उसकी जान बचा ली गई है. अंबिकापुर शहर के भगवानपुर निवासी संजय साना पशुपालन करते हैं. उनकी एक गाय ने पिछले 12 दिनों से भोजन करना छोड़ दिया था. पेट में सूजन के कारण वह दर्द से कराह रही थी. पशुपालक के द्वारा पशु चिकित्सकों (Veterinary Doctor) की सलाह पर मवेशी को दवाइयां दी जा रही थीं. इसके बाद भी उसे लाभ नहीं हो रहा था. मवेशी की हालत काफी गंभीर थी.
विभाग के एबीएफओ अशोक चौहान ने इसकी जानकारी पशुधन विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. बीपी सतनामी को दी. उपसंचालक के निर्देश पर लखनपुर में पदस्थ पशु सर्जन सफदर अली खान पशु पालक के घर पहुंचे और स्वास्थ्य परीक्षण करने पर पाया कि गाय के पेट में प्लास्टिक भरा हुआ है, जिसके चलते पेट में तरल पदार्थ भर रहा है. उन्होंने तत्काल थोरेकोसेंटोसीस कर निडिल से पेट में भरे द्रव को बाहर निकाला इसके बाद रूमेनोटामी सर्जरी कर गाय के पेट से रेटीकुलम से दो कील और रूमेन से लगभग 5 किलो प्लास्टिक निकाला गया. ऑपरेशन में डॉ. सफदर अली खान के साथ डॉ. मयंक सिंह, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. अशोक चौहान की टीम सक्रिय रही.
चुंबक से निकाला गया दो कील
पशु चिकित्सक और सर्जन डॉ. सफदर अली खान ने बताया कि मवेशी के पेट में दो कील भी था जो काफी नाजुक स्थान पर पहुंच गया था. सावधानी पूर्वक चुंबक के माध्यम से दोनों कील को बाहर निकाला गया. कील की लंबाई लगभग डेढ इंच की थी. उन्होंने बताया कि पशुपालकों की लापरवाही और पशुओं को खुला छोड़ देने के कारण पशु कचरे के ढेर में भोजन तलाश करते हुए अक्सर प्लास्टिक के साथ अन्य हानिकारक वस्तुओं का भी सेवन कर लेते हैं. जिससे पशुपालकों को सावधानी बरतनी चाहिए और मवेशियों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए.
गर्भवती बकरी का हुआ ब्रेन सर्जरी
पशुधन विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. बीपी सतनामी ने बताया कि लखनपुर के ग्राम लटोरी परमेश्वर यादव द्वारा पाली गई एक बकरी को पिछले दो साल से ब्रेन सिस्ट की बीमारी थी. दवा का असर नहीं होने पर वे बकरी लेकर पशु चिकित्सालय लखनपुर में पहुंचे. डॉ. सफदर अली खान ने जांच की तो पाया कि बकरी के ब्रेन में सेनुरस सेरेबरलिस लार्वा सिस्ट है. जिससे करेनियोटामी सर्जरी कर ब्रेन से परजीवी सिस्ट को बाहर निकाला गया. ऑपरेशन में उनके साथ डॉ. नेहा सिंह, डॉ. सुरज खांडे, नवयुग खांडे, भानु सिंह, सचिन और ऋषभ पटेल शामिल थे.
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