Chhattisgarh Government News: दुनिया और देश में सोशल मीडिया का बोलबाला है. लोग अपने कई जरूरी और टाइमपास के कामों के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. यहां तक की आज के समय में अधिकांश कार्यालय के सरकारी कार्यों, आदेशों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सरकारी कार्यालयों में सोशल मीडिया जैसे माध्यम का इस्तेमाल होना चाहिए ?


क्या सोशल मीडिया को औपचारिक रूप से सराकारी मान्यता प्राप्त है? क्या उसमें दिए गए आदेश निर्देश को मानना या उसका पालन करना सरकारी सेवा के शर्तों में शामिल है. इस संबंध में कई कर्मचारी और अधिकारी संगठन से बात की गई. 


मेल या पत्र व्यवहार सही था


इस संबंध में छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय सरकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश संरक्षक और अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के संभागीय अध्यक्ष कौशलेंद्र पाण्डेय से बात की गई. उन्होंने बताया कि सरकारी कार्यों के साथ आदेश-निर्देश के लिए पहले की प्रकिया होनी चाहिए.


पहले मेल या पत्र व्यवहार के माध्यम से कार्यों का क्रियान्वयन होता था. जिसमें किसी प्रकार के एडिटिंग की गुंजाइश नहीं होती थी. क्योंकि सोशल मीडिया साइट्स और एप्लिकेशन व्हाट्सएप में एडिटिंग आदेश निर्देश की संभावना ज्यादा होती है. कोई भी अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकता है. 


यह बन सकता है विवाद का कारण


20 साल पहले रिटायर्ड हो चुके कृषि विभाग के एसडीओ और पेंसनर यदुपति नाथ पाण्डेय का सराकारी कार्यों में व्हाट्सएप के प्रयोग में अलग ही मत है. उनके मुताबिक सरकारी कार्यों में व्हाट्सएप ग्रुप में कई लोग एक साथ जुड़ें होते हैं. बड़े अधिकारी उस ग्रुप में जब किसी एक कर्मचारी के लिए सामूहिक रूप से निर्देश जारी करते हैं तो ऐसे में कभी कभी उस कर्मचारी को आदेश बुरा लग सकता है. ऐसे में अधिकारी कर्मचारी के बीच मनमुटाव हो सकता है. इसलिए पहले डाक के माध्यम से या ई-मेल के माध्यम से व्यक्तिगत आदेश मिलने से ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती थी.


छुट्टी का आवेदन भी व्हाट्सएप में स्वीकार हो


अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के सरगुजा जिला अध्यक्ष कमलेश सोनी के मुताबिक़ आज सोशल मीडिया खासकर व्हाट्सएप में बहुत अफवाह फैलती है. ऐसे में कोई अधिकारी अगर व्हाट्सएप पर कोई निर्देश आदेश देते हैं तो उसकी पुष्टि करना पड़ता है, उसके बाद वो मान्य होगा.


उन्होंने कहा कि अधिकारी को उसकी हार्ड कापी भी कर्मचारी को देना चाहिए. इसके अलावा श्री सोनी ने बताया कि व्हाट्सएप में जब अधिकारी के निर्देश का पालन करना हमारा कर्तव्य है तो छुट्टी के लिए आवेदन स्वीकार करना चाहिए जो नहीं होता है ये दुर्भाग्यपूर्ण है. साथ ही व्हाट्सएप को लेकर सरकार और  प्रशासन से कोई गाइड लाइन जारी नहीं हुई है. 


500 रुपए के भत्ते की मांग


छत्तीसगढ़ लघु वेतन कर्मचारी संघ के प्रदेश के मुख्य सलाहकार सुजान बिंद ने बताया कि डिजिटल युग में व्हाट्सएप के प्रयोग से सरकारी प्रशासन की योजना त्वरित रूप से लोगों तक पहुंच जा रही है. जिससे उसका लाभ हितग्राहियों को मिलना चाहिए.


व्हाट्सएप को औपचारिक रूप से सरकारी मान्यता मिल जानी चाहिए. हालांकि उन्होंने कर्मचारी के पर्सनल फोन पर व्हाट्सएप या मैसेज माध्यम से आदेश देने के लिए सरकार से प्रति कर्मचारी 500 रुपया फोन भत्ता देने की मांग भी की थी. जिसके पालन की शुरुआत स्वास्थ्य विभाग में हुआ था.


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