Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर शहर के एक निजी अस्पताल में ब्लड चढ़ाने से हालत बिगड़ने के बाद बालिका की मौत हो गई. मौत के बाद परिजन तीन साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है.
बालिका के पिता हेड कांस्टेबल अमरेश कुमार दुबे को जब शक हुआ कि उनके बेटी को गलत ब्लड चढ़ाया गया है. इसके बाद उन्होंने अस्पताल से दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग किया. जब दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए तब स्थाई लोक अदालत ने तत्कालीन मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम एक्ट के तहत दो-दो लाख रूपए की क्षतिपूर्ति राशि पीड़ित पिता को देने आदेश जारी किया है.
अदालत ने अधिनिर्णय तिथि से 30 दिन के भीतर यह राशि जमा नहीं करने पर सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज के दर से राशि देने को कहा है. पीड़ित पक्ष की ओर से मामले की पेरवी अधिवक्ता मनोज गुप्ता ने की.
अस्पताल ने गलत ब्लड ग्रुप वाला ब्लड चढ़ाया
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सूरजपुर जिले के प्रतापपुर के ग्राम कदमपारा निवासी हेड कांस्टेबल अमरेश कुमार दुबे सूरजपुर पुलिस लाइन में पदस्थ है. उन्होंने आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपनी पुत्री अदिति दुबे को सात दिस्बर 2020 को अम्बिकापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 5.2 ग्राम रक्त होने पर रक्त चढ़ाने की सलाह दी गई. बालिका का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव बताया गया था.
जिससे वे पुत्री के इलाज और रक्त चढ़ाने के लिए 9 दिसंबर 2020 को अम्बिकापुर के पुराना बस स्टैंड के समीप स्थित दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया. पुत्री को ओ निगेटिव ग्रुप का रक्त चढ़ाया जाना था, मगर अस्पताल में लापरवाहीं पूर्वक पुत्री के रक्त ग्रुप की सही जांच करने में लापरवाही बरती गई और ए- पोजिटिव चढ़ा दिया गया. जिससे पुत्री की तबियत बिगड़ने लगी.
इलाज के दौरान हो गई मौत
दूसरे ग्रुप का रक्त होने के चलते पुत्री के पैर, शरीर में दर्द, कंपकंपी, बुखार सहित अन्य बीमारी उभरने लगी. उन्होंने तत्काल इलाज करने डॉक्टर को जानकारी दिया, मगर डॉक्टर के द्वारा सही इलाज नहीं करने के कारण 11 दिसंबर को पुत्री को डिस्चार्ज करा दूसरे अस्पताल में ले गए. वहां भी पुत्री के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर को पुत्री को रांची झारखंड ले गए. जहां 12 दिसंबर 2020 इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
दस्तावेज नहीं दिया गया
पीड़ित पिता अमरेश कुमार दुबे के द्वारा गलत रक्त चढ़ाने से पुत्री की मौत होने की आशंका जताते हुए 29 सितंबर 2022 को जनसूचना अधिकार के तहत उन्होंने पुत्री को रक्त दान करने वाले रक्त दाता का नाम, पता सहित पूरे जानकारी मांगी गई थी. किंतु जनसूचना अधिकारी के द्वारा यह जानकारी पीड़ित पिता को नहीं दी गई और न ही रक्त चढ़ाए गए ग्रुप से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिया गया. जिससे सेवा में कमी होने पर उन्होंने आवेदन देकर मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख दिलाए जाने निवेदन किया गया था.
अधिकारियों ने बरती लापरवाही पीड़ित पिता
अमरेश कुमार दुबे ने कहा कि रक्तदाता के संबंध में जानकारी मांगने पर अधिकारियों के द्वारा संबंधितों से कोई जानकारी नहीं ली गई. जब लोक अदालत में निजी अस्पताल प्रबंधक से बयान लिया गया तो उन्होंने कहा कि यदि यह जानकारी मांगी जाती तो वे पूर्व में ही बता देते, मगर किसी अधिकारी ने यह नहीं पूछा. जनसूचना अधिकारी द्वारा ने दावा किया कि नर्सिंग होम एक्ट के मरीजों का रिकॉर्ड इस अस्पताल शाखा द्वारा अपने अभिलेख में संधारण नहीं किया जाता है.
बगैर पंजीयन डॉक्टर कैसे दे रहे सेवा
प्रधान आरक्षक अमरेश दुबे और उनके अधिवक्ता मनोज गुप्ता ने बताया कि अम्बिकापुर के जिस निजी अस्पताल में पुत्री को रक्त चढ़ाया गया उस अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर के द्वारा पुत्री का इलाज किया गया था. उक्त डॉक्टर के संबंध में उन्होंने जब छग मेडिकल काउंसिल की जनसूचना अधिकारी से जानकारी मांगी तब बताया गया कि उक्त डॉक्टर का इस कार्यालय में कोई पंजीयन नहीं है. जबकि उक्त डॉक्टर खुद को एमबीबीएस, एमडी मेडिसिन होने का दावा करते थे. उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा दूसरे अस्पताल में सेवा के अनुभव के आधार पर उन्हें अपने अस्पताल में नौकरी दे दी.
अदालत में आरोपियों ने यह किया दावा
अदालत में आरोपी अस्पताल प्रबंधक ने यह दावा किया था कि रक्त समूह के संबंध में कोई भ्रम नहीं है. इस मामले में सीएमएचओ द्वारा गठित जांच दल ने 22 फरवरी 2021 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया. जिसमें यह कहा गया है कि खून चढ़ाने संबंधी प्रक्रिया में गड़बड़ी नहीं पाई गई है.
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