सरकारी अस्पताल में नहीं बन रहा मेडिकल सर्टिफिकेट, इस वजह से प्राइवेट सेंटर जाने को मजबूर छात्र
Ambikapur News: मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में शुक्रवार को बच्चों का मेडिकल जांच कराने के लिए पहुंचे अभिभावकों ने बताया कि बलरामपुर जिला में इको और सोनोग्राफी जांच की सुविधा नहीं है.
Jawahar Navodaya Vidyalaya Admission 2024: जवाहर नवोदय विद्यालयों में प्रवेश के लिए इस बार मेडिकल टेस्ट ने सोनोग्राफी और इको टेस्ट को भी शामिल किए जाने से अभिभावक बच्चों को लेकर भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं. सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में इको व सोनोग्राफी टेस्ट के लिए दूसरे जिले के बच्चे में भी आने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
भीषण गर्मी में बच्चों के साथ अभिभावकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अभी तक नवोदय विद्यालय में दाखिला के लिए सामान्य मेडिकल टेस्ट से बच्चों को गुजरना पड़ता था. जिसमें ऊंचाई, वजन, नेत्र, छाती का एक्स- रे, ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन की जांच महत्वपूर्ण होती थी, मगर इस बार इको और सोनोग्राफी जांच को भी शामिल कर लिया गया है.
बच्चों को लेकर भटकते रहे अभिभावक
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में शुक्रवार को बच्चों का मेडिकल जांच कराने के लिए पहुंचे अभिभावकों ने बताया कि बलरामपुर जिला में इको और सोनोग्राफी जांच की सुविधा नहीं है. जिला अस्पताल में सामान्य जांच तो हो गया, मगर इको और अल्ट्रासाउंड जांच के लिए अंबिकापुर आना पड़ा. इधर सरगुजा जिले के खलिबा स्थित नवोदय विद्यालय में भी कक्षा 6वीं में प्रवेश की प्रक्रिया आरंभ हुई है. जिससे सरगुजा के बच्चे भी मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में नवोदय विद्यालय में दाखिला लेने वाले 36 बच्चों का मेडिकल बनाया गया है. जबकि शुक्रवार (12 अप्रैल) को इको जांच नहीं होने पर अभिभावक बच्चों को लेकर भटकते रहे.
निजी केंद्र में जांच कराने हुए मजबूर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अम्बिकापुर में इको जांच के लिए सोमवार, बुधवार और गुरुवार की तिथि निर्धारित की गई है. इस जानकारी के अभाव में बलरामपुर जिला के बच्चों को लेकर अभिभावक बड़ी संख्या में अंबिकापुर पहुंच गए. शुक्रवार होने के चलते मेडिकल कॉलेज में इको जांच नहीं हो पाया जबकि सोनोग्राफी जांच के लिए सुबह आठ बजे से ही मरीजों की भीड़ लगी देख अभिभावक बच्चों को लेकर निजी जांच केंद्र जाने मजबूर हुए.
जहां इको के लिए दो हजार तो वहीं सोनोग्राफी के लिए 1 हजार रुपये खर्च करना पड़ा. जिससे गरीब अभिभावकों को आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा.
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