Chhattisgarh: अंबिकापुर में सोनोग्राफी का इंतजार कर रही महिला की करवानी पड़ी डिलीवरी, मृत बच्चे को दिया जन्म
Ambikapur Medical College News: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में उस समय कर्माचारियों की लापरवाही उजागर हो गई है, जब एक नौ माह की गर्भवती को जांच में लंबा इंतेजार करना पड़ा और इस दौरान खुले में प्रसव हो गया.
Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय के अम्बिकापुर स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच में एक गर्भवती महिला सोनोग्राफी की जांच कराने पहुंची थी. इस महिला को सोनोग्राफी जांच के लिए शंकरगढ़ अस्पताल से रेफर किया गया था. नौ माह की गर्भवती महिला को सोनोग्राफी जांच के लिए अस्पताल की लाइन में एक घंटे का इंतजार मंहगा पड़ गया. स्वास्थ्य कर्मचारियों की लापरवाही से फर्स्ट फ्लोर पर स्थित सोनोग्रॉफी सेंटर के सामने बालकनी में खुले आसमान के नीचे ही महिला का प्रसव हो गया.
गर्भवती महिला ने बालकनी में एक मृत बच्चे को जन्म दिया और इस दौरान वह बच्चे को सीने से लगाए काफी देर तक फर्श पर पड़ी रही. इसकी खबर फैलते ही स्वास्थ्य कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में महिला को वार्ड में शिफ्ट किया गया. स्वास्थ्य जांच में डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इस मामले में महिला के पति ने स्वास्थ्य कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. बलरामपुर जिला के शंकरगढ़ के ग्राम कोठली निवासी दिलेश्वर राम ने बताया कि उसकी पत्नी मनीषा (27 वर्ष) नौ माह की गर्भवती थी. प्रसव पीड़ा बढ़ने पर उसे शंकरगढ़ अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों द्वारा रेफर किए जाने पर गुरुवार (22 फरवरी) की सुबह दस बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल अम्बिकापुर के एमसीएच में लेकर पहुंचे थे.
खबर मिलते ही एमसीएच में मचा हंड़कंप
प्रथम मंजिल में बच्चों की ओपीडी भी है इसके अलावा टीकाकरण केन्द्र भी है. जिससे स्टॉफ नर्स के अलावा अन्य कर्मचारी भी रहते हैं, वहीं गेट पर गार्ड की भी ड्यूटी लगाई जाती है. सोनोग्राफी जांच केंद्र के सामने बालकनी में महिला का प्रसव होने की सूचना पर स्वास्थ्य कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. डॉक्टर भी भागते हुए पहुंची. नाल काटने के बाद महिला को व्हीलचेयर में बैठाकर वार्ड में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भस्थ शिशु की पूर्व में ही मौत हो गई थी. जबकि महिला के पति का कहना है कि दस दिन पहले शंकरगढ़ में भी जांच कराया गया था. वहां डॉक्टरों ने गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ बताया था.
लिफ्ट पर डॉक्टरों का एकाधिकार
चार मंजिला एमसीएच में मरीजों की सुविधा के लिए लिफ्ट भी लगाई गई है, मगर इस लिफ्ट की सुविधा आम मरीजों को नहीं मिल पाती है. डॉक्टर के साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी ही इसका उपयोग करते हैं. पहली मंजिल पर सोनोग्राफी जांच सेंटर है. दिलेश्वर राम ने बताया कि एमसीएच में स्वास्थ्य जांच के बाद डॉक्टरों ने सोनोग्राफी कराने को कहा, मगर न तो लिफ्ट की सुविधा दी गई और न ही व्हीलचेयर दिया गया. साथ में कोई कर्मचारी भी नहीं था. सीढ़ी से गर्भवती पत्नी पहली मंजिल तक पहुंची, मगर वहां भी बारी के लिए उसे एक घंटे कतार में खड़ा होना पड़ा. तकलीफ बढ़ने पर रेडियोलॉजिस्ट को अवगत कराने के बाद भी तत्काल जांच नहीं किया गया. जिससे तकलीफ और बढ़ गई और खुले बालकनी में ही अचानक प्रसव हो गया.
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