Ambikapur Water Crisis: छत्तीसगढ़ में गुजरते वक्त के साथ भूगर्भीय जल का स्तर नीचे जा रहा है. कटते पेड़, बढती गर्मी और अतिक्रमणकारियों के नापाक मंसूबो के कारण नदी, नालों, तालाबों और जलाशयों में भी पानी कम होता जा रहा है. ऐसे में भूगर्भीय जल के स्तर को बनाए रखने या फिर ऊपर उठाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग जैसी प्रणाली काफी कारगार है लेकिन इस विधि के प्रति ना ही लोग जागरूक हैं और ना ही वे अधिकारी जिसको इस सिस्टम को स्थापित करने की जिम्मेदारी है. दरअसल कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ में संभाग मुख्याल अम्बिकापुर के नगर पालिक निगम (Ambikapur Municipal Corporation) में हर निर्माण के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी हो गया था लेकिन इसकी असली हकीकत किसी छिपी नहीं हैं.


रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी
सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर के साथ जिले में भूर्भीय जल स्तर काफी नीचे चला गया है जिससे आने वाले समय में जल संकट गहरा सकता है. ऐसे मे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्रणाली का उपयोग किया जाना काफी जरूरी है. दरअसल अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र समेत संभाग के सभी नगरीय निकाय में घर बनाने की अनुमति के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को प्लांट करना आवश्यक प्रकिया है. इस प्रकिया के मुताबिक लोग भवन की अनुज्ञा प्राप्त करने के लिए दी जाने वाली फीस के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए रकम जमा कराते हैं और फिर वाटर हार्वेस्टिंग बन जाने की सूचना नगर निगम मे देंते हैं. 


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वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बेमतलब साबित हो रहा
इसके बाद उनकी जमा राशि उनको दे दी जाती है लेकिन अमूमन लोग घर तो बनवा लेते हैं पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाना जरूरी नहीं समझते हैं. यही वजह है कि भूगर्भीय जल के स्तर को बनाए रखने के लिए या ऊपर उठाने के लिए तैयार वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली बेमतलब साबित हो रही है. गौरतलब है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए निगम जो राशि बंधक बनाकर रखती है उसमे आवासीय मकान के लिए 15 हजार तक की लीमिट तय है तो वहीं कामर्शियल भवनों के निर्माण के लिए 10 लाख रूपए तक की लीमिट है. यह 110 रूपया प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से है.


अधिकारी ने क्या बताया
अम्बिकापुर नगर निगम के भवन शाखा के अधिकारी विवेक सैनी ने बताया कि, पहले लोग घर बना लेते थे लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनवाते थे और निगम में जमा रूपया भी लेने नहीं आते थे. इस परेशानी को दूर करने के लिए अब निगम प्रबंधन ने नया रास्ता खोज लिया है. अब उन घरों की पहचान की जा रही है जिनके यहां वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बना है. इस प्रकिया में फिलहाल पिछले तीन साल में 543 भवन निर्माण करवाने वाले लोगों की पहचान हो सकी है. 


विवेक सैनी ने बताया, तीन साल पहले के 350 लोगों की भी अलग से पहचान की गई है जिन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनवाया है और उनकी राशि अभी तक निगम कार्यालय में जमा हैं. इन सब की पहचान करके वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के लिए 4-5 एजेंसी को टेंडर दिया गया है जो 893 भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का काम करेंगी. इसके बाद भवन निर्माताओं की जमा राशि को राजसात करके काम करने वाली एजेंसियों को दिया जाएगा.  


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