Ambikapur News: अम्बिकापुर में रामायण महोत्सव में खाली रह गईं 90 फीसदी कुर्सियां, प्रशासन पर लगे गंभीर आरोप
Ramayana Mahotsav in Ambikapur: रामगढ़ जिला प्रदेश की आध्यात्मिक और पुरातात्विक धरोहर है. रामगढ़ को मेघदूतम नामक महाकाव्य की रचना स्थली माना जाता है, जिसकी रचना महाकवि कालिदास ने किया था.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में पीजी कॉलेज ग्राउण्ड में गुरुवार शाम रामगढ़ रामायण महोत्सव का आयोजन हुआ. इस महोत्सव में कई सांस्कृतिक और रंगमंचीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस आयोजन के मुख्य अतिथि प्रदेश के संस्कृति और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत थे. जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आयोजनकर्ताओं की जमकर किरकिरी हुई क्योंकि एक तरफ़ जहां प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मुख्य अतिथि थे तो दूसरी ओर इस महोत्सव में लगी 90 फ़ीसदी कुर्सी ख़ाली थीं. इसको लेकर मंत्री समर्थक और कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है.
सरगुजा जिला प्रशासन द्वारा गुरुवार को अम्बिकापुर के पीजी कॉलेज ग्राउंड में सांस्कृतिक कार्यक्रम में रामायण महोत्सव का भव्य आयोजन 3.00 बजे से किया गया. रामायण महोत्सव में सरगुजा, बलरामपुर एवं सूरजपुर जिले के राज्य स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता 2023 में पहला स्थान प्राप्त रामायण मंडली दलों की प्रस्तुति और ब्लॉक में पहला स्थान प्राप्त रामायण मंडली को वाद्य यंत्र के लिए डेमो चेक प्रदान किया गया. छत्तीसगढ़ के कलाकार अनुराग शर्मा द्वारा संगीतमय रामकथा प्रस्तुति तथा रीनी चन्द्रा वॉलीवुड पार्श्व गायिका द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई. लेकिन रामायण महोत्सव के इस भव्य आयोजन में 90 फीसदी कुर्सियां खाली रह गई.
पूरी तरह प्रशासनिक कार्यक्रम
अमरजीत भगत के करीबी व पार्षद दीपक मिश्रा ने कहा कि प्रशासन के द्वारा जनप्रतिनिधियों को कहीं भी उचित मान सम्मान नहीं दिया गया, इसलिए हम कार्यक्रम छोड़ दिए. रामगढ़ रामायण महोत्सव की सूचना पूरे शहर को होनी थी वो भी नहीं हो सकी. उम्मीद से एकदम कम भीड़ रही. कार्यक्रम पूरी तरह से प्रशासनिक हो गया. लोगों में कोई उत्साह नहीं दिखा.
प्रशासन की बहुत बड़ी चूक है, इससे पहले रायगढ़ में रामायण महोत्सव हुआ उसमें लाखों की संख्या में लोग थे. अब अम्बिकापुर में हजारों की संख्या में लोग हैं, प्रशासन कार्यक्रम को कराने में पूरी तरह फेल रहा है.
रामगढ़ का इतिहास
सरगुजा जिले का रामगढ़ जिले और प्रदेश की आध्यात्मिक और पुरातात्विक धरोहर है. रामगढ़ को मेघदूतम नामक महाकाव्य की रचना स्थली माना जाता है. जिसकी रचना महाकवि कालिदास ने किया था. इसके अलावा यहां भगवान राम के वनवास काल से जोड़कर भी देखा जाता है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के राम वन गमन पथ योजना में भी इस स्थान के विकास की शुरूआत की गई है. रामगढ़ की पहाड़ी में एक गुफा नुमा नाट्यशास्त्र भी है. जिसे विश्व की सबसे बड़ी और पुरानी नाट्यशाला माना जाता है. इसके अलावा जोगीमारा गुफा और भगवान के चरणों के निशान इस जगह के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ा देते है.
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