Ambikapur News: सरगुजा के वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा की मेहनत रंग लाई, तालाब के गंदे पानी को बनाया पीने योग्य
छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा ने कमाल कर दिया है. जिससे अब बड़ी आसानी से गंदे तालाब या नाली को साफ़ किया जा सकेगा.
Ambikapur News: छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के सरगुजा(Sarguja) में एक वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा ने कमाल कर दिया है. जिससे अब बड़ी आसानी से गंदे तालाब या नाली को साफ़ किया जा सकेगा. यहीं नहीं गंदे तालाब को पानी को पीने योग्य हो सकता है. दरअसल, अम्बिकापुर के वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा(Prashant Sharma) ने एक टेबल टेनिस के बाल की तरह दिखने वाला बैक्टीरिया बॉल बनाया है. जिसका नाम ई बॉल(E-Ball) दिया गया है. लगभग 8 से 10 बॉल को एक बड़े तालाब में डालने पर उसका पानी साफ हो जाता है. और पीने योग्य भी बन जाता है. वैज्ञानिक ने 12 वर्ष की मेहनत के बाद यह फार्मूला तैयार किया है. लगभग दो महीने पहले इसका ट्रायल शुरू किया गया था. और अब यह ट्रायल बेहद सफल दिख रहा है.
ई बॉल से साफ हुआ गंदा तालाब का पानी
पहले के समय में ज्यादातर लोग तालाब, नदी, नालों में निर्भर रहकर उसके पानी का अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग करते थे. लेकिन बदलते समय के साथ साथ वर्तमान में तालाब, नदी, नालों में सिर्फ गंदगी नजर आती है. जिसके पानी का कोई उपयोग नहीं रह गया है. लेकिन अम्बिकापुर के वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा ने इन गंदे तालाबों के पानी को साफ करने के लिए जो प्रयोग किया. इसके बाद अब तालाबों की उपयोगिता फिर से बढ़ने लगी है. वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा ने एक बैक्टीरियल बॉल तैयार किया है. जिसे अम्बिकापुर शहर के तालाबों में डाला गया. इसके बाद तालाब के पानी में जो बदलाव हुआ वो हैरान करने वाला था. जिस तालाब से कभी गंदी बदबू आती थी. वर्तमान में उस तालाब का पानी क्रिस्टल साफ हो चुका है.
ई बॉल के प्रयोग से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं
उस तालाब के पानी को शुद्धता नापने पर पानी पीने योग्य हो गया. तालाब के पानी के पीएच लेबल 6.86 और टीडीएस लेबल 250 के आसपास बता रहा है. जो पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है. वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा ने बताया कि तालाबों में ई बॉल के प्रयोग से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं है. जलीय जीवों को भी इससे कोई खतरा नहीं है. प्रशांत शर्मा ने एबीपी न्यूज से बताया कि इसका इकोलॉजिकल फायदा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिल रहा है है, कि शहरों की जो नालियां से को पानी है वो किसी न किसी नदी या नाले, तालाब में मिलती है. अब अम्बिकापुर शहर को नालियों का जो पानी है. नदी या नाले में जाकर मिल रही है. तो उसका प्यूरिफिकेशन हो चुका है. हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस उसमे नहीं है.
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