आज के परिवेश में जब इंसान इंसान का दुश्मन हो गया है और जानवरों में भी अस्तित्व की लडाई शुरू हो गई है. ऐसे में अगर एक इंसान अपनी जान की परवाह किए बिना जानवरों की जिंदगी बचाने की जिद पर अड़ जाए हो तो फिर इसे मानवता का सबसे अच्छा उदारण माना जा सकता है. सच्ची इंसानियत की मिसाल पेश करनेवाले एक शख्स ने अब तक 2 हजार 500 से अधिक सांपों को इंसानों के बीच से सुरक्षित निकाला है और 50 से अधिक सांपों को जीवनदान दिया है. मामला सांप का होने की वजह से खबर पढ़कर थोड़ा डर जरूर लग रहा होगा. लेकिन ये शख्स बिना डरे जहरीले से जहरीले सांपों की जान बचा चुका है.
सांप का नाम सुनकर ही रूह कांप जाती है. सांप अगर नजदीक से दिख जाए तो बहादुर इंसान भी डर की परम सीमा में पहुंच जाता है. लेकिन अंबिकापुर के रहने वाले एक युवा ने सांपों को बचाने की बखूबी जिम्मेदारी निभा रहा है. ये किसी सामान्य इंसान के बस की बात नहीं है. अंबिकापुर के रहने वाले सत्यम द्विवेदी अपने साहस और इच्छाशक्ति से आज सांपों के मसीहा बन गए हैं. सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर मिशन चौक निवासी अभी महज 24 साल के हैं. मानव समाज के साथ सांपों और जीव जंतु के लिए किए जा रहे कामों की चारों तरफ तारीफ हो रही है. सत्यम को बचपन से ही जीव जंतुओं खासकर सांपों से काफी लगाव था. लगाव के कारण 2016 से सत्यम अब तक लगातार करीब 2500 सांपों को इंसानों की बस्ती या घरों से निकाल कर जंगल तक सुरक्षित छोड़ चुके हैं. सांप दिखने की सूचना के बाद सत्यम लोगों के घर या बाड़ी में बेधड़क पहुंच जाते हैं. सत्यम ने करीब 50 जहरीले सांपों की जान भी बचाई है. इंसान के चंगुल में आने के बाद सांपों का जिंदा बचना मुश्किल था. हो सकता है जहर देकर मारने का प्रयास किया जाता. सत्यम बताते हैं कि सभी सांपों को बचा कर इंसानों से दूर सुरक्षित जंगल में छोड़ देते हैं.
सत्यम ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि उन्होंने हाल फिलहाल कई जहरीले सांपों को इंसानों के प्रहार से बचाया है. उसमें अंबिकापुर के गांधीनगर इलाके से एक गर्ल्स हॉस्टल के पीछे निकला छोटा नाग, दूसरा सरस्वती कॉलेज के पीछे एक घर से धमना और नागपंचमी के दिन जिले के रनपुर गांव से निकला नाग जैसे जहरीले सांप शामिल हैं. उनका कहना है कि सापों को बेहतर इलाज से जान बचा चुके हैं. इसके अलावा एक धमना सांप को लोगों ने कुल्हाड़ी से मार दिया था. सूचना पर पहुंचे स्नैक मैन सत्यम ने पशु चिकित्सकों की मदद से ऑपरेशन कर शरीर में टांका लगवाया.
सत्यम को इस काम के करने में बिलकुल डर नहीं लगता है क्यकि उनके नजदीक सांप सुंदर जीव हैं. सांपों के प्रति प्रेम के कारण आज सत्यम सरगुजा जिले के साथ संभाग के विभिन्न इलाकों में काफी चर्चित हैं और उनके पास बारिश के दिनों में एक दिन में सांप पकड़ने के लिए सात से आठ फोन आते हैं. समय निकालकर सत्यम सब जगह पहुंचने की कोशिश भी करते हैं लेकिन हैरत की बात है कि जिस काम को वन विभाग को करना चाहिए उसको सत्यम अपना काम मानकर करते हैं. जान जोखिम को रखकर करने वाले इस काम में वन विभाग के अधिकारियों ने सत्यम को आज तक शाबासी नहीं दी है. सत्यम की शिकायत है कि जान जोखिम में डालने के बावजूद अभी तक वन विभाग से सुरक्षा और बचाव के उपकरण देने का सिर्फ आश्वसन ही मिला है जबकि अभी तक कोई किट वन विभाग या जिला प्रशासन ने उपलब्ध नहीं कराई है.
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