Ambikapur: abp न्यूज़ की खबर के बाद प्रशासन का दावा, कहा- लगातार ड्यूटी कर रहीं हैं सरकारी अस्पताल की फिजियोथेरेपिस्ट
सरगुजा में शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल की फिजियोथेरेपिस्ट कलेक्टर बंगले पर ड्यूटी कर रही हैं. अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट के नहीं होने से मरीज निजी सेंटर पर मनमानी कीमत देने को मजबूर हैं.
Ambikapur News: सरगुजा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल और एकलौता मेडिकल कॉलेज हमेशा स्टाफ, संसाधनों की कमी और डाक्टरों की मनमानी के लिए चर्चा में रहता है. शासकीय मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा के कई किस्से आपने सुने होंगे. लेकिन एबीपी न्यूज की पड़ताल में चौंकानेवाला खुलासा हुआ है. मामला अस्पताल के फिजियोथेरेपी डिपार्टमेंट का है. फिजियोथेरेपिस्ट पिछले करीब दो वर्षों से कलेक्टर बंगले में ड्यूटी कर रही हैं. अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट के नहीं होने से मरीज निजी सेंटर पर जाने को मजबूर हैं और निजी सेंटर प्रबंधक मनमानी कीमत वसूलते हैं. abp न्यूज़ की खबर के बाद प्रशासन ने दावा किया कि डॉक्टर सोनी लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं.
प्रशासन का दावा, कहा- लगातार ड्यूटी कर रहीं हैं सरकारी अस्पताल की फिजियोथेरेपिस्ट
प्रशासन की ओर से दावा करते हुए कहा गया है कि फिजियोथेरेपिस्ट लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं. संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक कार्यालय की ओर से कहा गया कि डॉ. सोनी प्रतिदिन चिकित्सालय में निर्धारित समय में आकर अपनी सेवायें दे रही है, तथा मरीजों की देखभाल कर रही है. खबर से अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है और यह खबर निरर्थक और निराधार है.
अस्पताल के बजाए कलेक्टर बंगले पर फिजियोथेरेपिस्ट
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में पदस्थ एनसीडी स्टाफ की फिजियोथेरेपिस्ट सपना सोनी कोरोना काल की शुरुआत से कलेक्टर बंगले में ड्यूटी कर रही हैं. बताया गया है कि कलेक्टर की मांग पर बंगला में भेजा गया है. बंगला में सपना सोनी कलेक्टर संजीव कुमार झा की मां की फिजियोथेरेपी करती हैं और फिर बंगले से घर चली जाती हैं. कुल मिलाकर अस्पताल में एनसीडी प्रोग्राम के तहत नियुक्त फिजियोथेरेपिस्ट ने कई महीनों से कर्तव्य स्थल का मुंह तक नहीं देखा है.
फिजियोथेरेपिस्ट डिपार्टमेंट चल रहा है भगवान भरोसे
करीब दो महीने पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्टाफ के तौर पर टिकेश्वर नामक फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति हुई है. लेकिन सिंगल स्टाफ होने के कारण टिकेश्वर को वार्ड में मरीजों को भी देखने जाना पड़ता है. बहुत कम समय के लिए ओपीडी में मरीजों का थेरेपी कर पाते हैं. अस्पताल के डीआईसी में भी आंकाक्षा कौशल नाम की फिजियोथेरेपिस्ट हैं. लेकिन उनकी नियुक्ति केवल डीआईसी में छोटे, नवजात बच्चों की देखभाल के लिए की गई है. इसलिए उनका अस्पताल आने वाले आम मरीजों से कोई लेना देना नहीं है. बहरहाल, पिछले दो महीने को छोड़ दिया जाए तो आज तक जिले के सबसे बड़े अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट डिपार्टमेंट इंसान के नहीं बल्कि भगवान भरोसे था.
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ लखन सिंह ने बताया कि ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ने पर सपना सोनी अधिकारियों के घर जा सकती हैं. सपना सोनी सीएमएचओ कार्यालय की स्टाफ हैं. उनकी सैलरी भी सीएमएचओ कार्यालय से मिलती है. हालांकि उन्होंने ज्यादा बताने से इंकार कर दिया. सीएमएचओ कार्यालय में एनसीडी प्रोग्राम के प्रभारी डॉ शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि चूंकि कोरोना काल में फिजियोथेरेपी की ओपीडी बंद थी. फिजियोथेरेपी स्टाफ खाली बैठे थे.
इसलिए उनको यूटिलाइजर करने के लिए ऐसा किया गया होगा. लेकिन अभी तक कलेक्टर बंगले में ही ड्यूटी करने की बात गलत होगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि व्यवस्था में गड़बड़ी पाए जाने पर दूर कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद फिजियोथेरेपी डिपार्टमेंट की व्यवस्था अभी धीरे धीरे दुरुस्त की जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ सीएमएचओ डॉक्टर पूनम सिंह सिसोदिया का ऐसी किसी बात की जानकारी होने से इंकार करना हैरान करनेवाला है.