Ambikapur News: अम्बिकापुर के स्वामी आत्मानंद स्कूल प्राचार्य डॉ. बृजेश पांडेय को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. देश के कुल 50 शक्षिकों में डॉ. बृजेश पांडेय छत्तीसगढ़ से इस बार इकलौते शक्षिक हैं, जिन्हे इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. उन्हें दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में पांच सितंबर शिक्षक दिवस को होने वाले समारोह में सम्मानित किया जाएगा. इसके लिए वे तीन सितंबर को दिल्ली जाएंगे. 


बीते 36 वर्षों से अविभाजित मध्य प्रदेश और सरगुजा में शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित और नवाचार में अग्रणी रहने वाले डॉ. बृजेश पांडेय 1987 से शक्षा विभाग में कार्यरत हैं और मध्य प्रदेश के बिजुरी सहित सरगुजा के सीतापुर,कन्या परिसर, डाईट अम्बिकापुर, लटोरी और परसा मॉडल स्कूल में सेवाएं दे चुके हैं. डॉ. बृजेश पांडेय सरगुजा के पहले आत्मानंद स्कूल अम्बिकापुर के संस्थापक प्राचार्य भी हैं. अपने लंबे शिक्षिकीय सेवा के दौरान उन्होंने अम्बिकापुर के डीएवी मॉडल स्कूल परसा के संस्थापक प्राचार्य के रूप में भी सेवा दी है. उन्होंने इसे सरगुजा के सर्वश्रेष्ठ मॉडल स्कूल के रूप में स्थापित किया था, जहां पहली बार ग्रामीण क्षेत्र से 12वीं बोर्ड में छात्रों ने मेरिट सूची में स्थान बनाया. 


आत्मानंद स्कूल में प्राचार्य के रूप में सेवाएं दे रहे
डॉ. पांडेय परसा हाई स्कूल के प्राचार्य रहते हुए वर्ष 2000 में इसे मॉडल स्कूल के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी और लगभग 25 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त करा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शक्षा खासकर गणित, वज्ञिान जैसे जटिल विषयों को रूचिकर बना सहजता से पढ़ने और पढ़ाने के नवाचार की शुरूआत की थी. इस दौरान उन्होंने शासन के महत्वाकांक्षी संस्था प्रयास के संचालक के रूप में भी अम्बिकापुर में सेवाएं दी. उन्होंने मेधावी बच्चों को प्रतस्पिर्धा के अनुरूप तैयार किया. बच्चों के मेरिट में आने का सिलसिला भी उन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुआ. डॉ. पांडेय 2020 से आत्मानंद स्कूल अम्बिकापुर के प्राचार्य के रूप में सेवाएं दे रहे हैं और दूसरे ही साल से यहां भी छह बच्चे दसवीं बोर्ड में मेरिट में स्थान बना चुके हैं.


156 शिक्षकों के बीच थी राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा
राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनीत डॉ. बृजेश पांडेय के साथ पूरे देश में कुल 156 शिक्षकों को अंतिम प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया था, जिसमें देश से कुल 50 शिक्षक इस पुरस्कार के लिए पात्र पाए गए. छत्तीसगढ़ से डॉ. पांडेय के अलावा कुल तीन शिक्षकों की प्रवृष्टि भेजी गई थी, जिसमें अध्यापन के साथ-साथ अलग-अलग 26 से अधिक बिंदुओं पर मूल्यांकन किया गया. डॉ. पांडेय को परसा मॉडल स्कूल की स्थापना, बेहतर शक्षिकीय माहौल तैयार करने सहित जन सहयोग से परिसर का बेहतर निर्माण करने और उनके 36 वर्ष के बेदाग शिक्षकीय सेवा में उनके कार्यकाल की उपलब्धि, नवाचार और समाज को मिले योगदान को शामिल किया गया है.


ईमानदार प्रयास से ही मिलेगा गुरूदेव का दर्जा
राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनीत प्राचार्य डॉ. बृजेश पांडेय सैनिक स्कूल रीवां के छात्र हैं और विज्ञान, गणित के ख्यातिलब्ध शिक्षक के रूप में वे समूचे सरगुजा में जाने जाते हैं. पुरस्कार मिलने पर उन्होंने कहा कि समाज का असली स्वरूप स्कूल ही है, अगर सभी शिक्षक ईमानदारी से प्रयास करें तो समाज को निरंतर बेहतर पीढ़ी देकर आज भी गुरूदेव का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल में आने वाले छात्र एकदम तरल रहते हैं, उन्हें सांचे में ढालने के लिए शिक्षकों को ही पहले बेहतर तैयारी और गुणवत्ता से परिपूर्ण होना पड़ेगा. विज्ञान, गणित, भौतिक जैसे विषयों के लिए नवाचार के साथ-साथ छात्रों के लिखने, पढ़ने और गणित के प्रति रूचि जागृत करने के लिए सतत प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यह सम्मान हम सभी के लिए प्रेरणा है.


2018 में राज्यपाल से भी पुरस्कृत
छत्तीसगढ़ शासन के डीएवी मॉडल स्कूल और स्वामी आत्मानंद स्कूल के संस्थापक प्राचार्य के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में पहले से ही ख्यातिलब्ध शिक्षक डॉ. बृजेश पांडेय वर्ष 2018 में राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं. वो सरगुजा में महत्वकांक्षी प्रयास आवासीय विद्यालय में सेवाएं देने के साथ-साथ राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के को-आर्डिनेटर के रूप में भी सफल भूमिका निभा रहे हैं, जहां उनकी देखरेख में हर साल सरगुजा का विज्ञान मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हो रहा है. 


कोविड काल में डॉ. बृजेश पांडेय ने विपरीत स्थितियों के बावजूद सरगुजा में ऑनलाइन शिक्षा के लिए सराहनीय कार्य किया और हाल ही में शिक्षकों के लिए उन्होंने एक्टिविटी गाईड नामक किताब प्रकाशित की. जिसमें रीडिंग, राइटिंग और अर्थमेटिक ज्ञान को लेकर तैयारी और इसके प्रयोग पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया गया है, ताकि छात्रों को पढ़ाने और रूचिकर बनाने में सहयोग मिल सके.


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