Ambikapur News: मौसम में उतार-चढ़ाव का लोगों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पढ़ रहा है. लोग बड़ी संख्या में सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हो अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल अम्बिकापुर के मेडिसीन विभाग में फरवरी माह में 3 हजार 700 मरीज पहुंचे, जबकि मार्च महीने में 24 तारीख तक 3 हजार 236 मरीज पहुंचे हैं. 55 दिनों में ही 6 हजार 936 मरीज पहुंचे और मार्च माह खत्म होने में अभी पांच दिन और हैं, जिससे यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा. निजी अस्पतालों में भी मरीज पहुंचे रहे हैं. हालांकि कई मरीज बगैर चिकित्सकीय सलाह के सीधे दुकान से दवा खरीद कर सेवन कर रहे हैं और स्वस्थ भी हो रहे हैं. 


मेडिकल कॉलेज अस्पताल के विभिन्न विभागों के ओपीडी में फरवरी माह में कुल 20 हजार 158 मरीज पहुंचे, जिसमें से 4 हजार 440 मरीजों को चिकित्सकों की सलाह पर वार्डो में भर्ती कराया गया. मार्च माह में कुल 4 हजार 491 मरीज पहुंचे, जिसमें से 3 हजार 236 मरीज तो केवल सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण के साथ मौसमी बीमारियों के थे. मौजूदा समय में बच्चा वार्ड, पुरूष व महिला मेडिकल वार्ड के लगभग सभी बेड फुल हैं.


वायरल बुखार ठीक होने में लग रहा दस दिन 
मेडिकल कॉलेज के मेडिसीन विभाग के चिकित्सक डॉ. अशोक टोप्पो का कहना है कि हवा में नमी होने से वायरल बुखारों को पनपने और बढ़ने का मौका मिलता है. उन्होंने बताया कि कोविड काल के पूर्व वायरल बुखार सामान्य लक्षणिक दवाओं के सेवन व आराम करने के साथ तीन से चार दिनों में ठीक हो जाता था. मौजूदा समय में कोराना संकट के साथ वायरल के वायरस का जेनेटीक मोडिफिकेशन होने के साथ ही मौसमी बीमारियों को ठीक होने में आठ से दस दिन का समय लग रहा है. उन्होंने कहा है कि दो-तीन दिनों में आराम नहीं मिलने पर कोविड जांच भी कराना चाहिए और सतर्कता बरतते हुए चिकित्सकों की सलाह से दवा का सेवन करना चाहिए.


गर्मी और अचानक ठंड का पड़ रहा असर
कभी धूप तो कभी बारिश के साथ मौसम के उतार-चढ़ाव से सर्द, गर्म की स्थिति बन रही है, जिसका हर आयु वर्ग के लोगों में प्रभाव देखा जा रहा है. बुजुर्ग और बच्चे सर्वाधिक मौसमी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. चिकित्सकों द्वारा लोगों को मौसमी फल खाने के साथ मौसम के प्रभाव से बचने के लिए एहतियात बरतने की भी सलाह दी जा रही है.


कोविड जांच कराने में भी हो रही कोताही
सर्दी, खांसी और बुखार होने के बावजूद अधिकांश मरीज कोराना जांच कराने में कोताही बरत रहे हैं और सीधे दुकानों से दवा खरीद कर सेवन कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि लम्बे समय के बाद भी तबियत ठीक नहीं होने पर ही मरीज कोविड जांच के लिए सैंपल देते हैं. हाल ही में मेडिकल कालेज चिकित्सालय के ब्लड बैंक की एक महिला कर्मचारी कोविड पॉजिटिव हुई थी. हालांकि वह होम आईसोलेशन में ही रिकवर होते हुए स्वस्थ हो गई. इधर देश में संक्रमण के प्रसार को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी एहतियात बरतने की आवश्यकता जताई जा रही है.


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