Ambikapur News: यात्रियों को बेहद कम खर्च में आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई सिटी बस योजना सरगुजा में अब दम तोड़ती जा रही है. योजना के तहत राज्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई 33 सिटी बसों में से 19 बसें पड़े-पड़े कबाड़ हो गई है. कबाड़ बसों को दुरुस्त करने के लिए ननि प्रशासन राज्य सरकार की मदद पर अपनी निगाहें लगाए हुए है.


अहमदाबाद की तर्ज पर सरगुजा के लोगों को शहर के कोने एवं आसपास के गांवों तक आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में राज्य प्रवर्तित योजना के तहत शहर में सिटी बसों का संचालन प्रारम्भ किया गया. राज्य शासन द्वारा अंबिकापुर और जशपुर कलस्टर के लिए 40 अत्याधुनिक यात्री बसें उपलब्ध कराई गई थी. विभिन्न विभागों के अधिकारियों की समिति ने बसों के संचालन का रूट निर्धारित करने के साथ ही बस संचालकों की पंजीकृत अम्बिकापुर ट्रांसपोर्ट कम्पनी को सेवा प्रदाता की जिम्मेदारी सौंपी थी. समिति द्वारा अंबिकापुर कलस्टर को 33 यात्री बसें जबकि जशपुर नगर कलस्टर को 7 बसें आवंटित की थी. समिति द्वारा सर्विस प्रोवाइडर ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए हर महीने 2.5 लाख की रायल्टी भी निर्धारित की गई थी. 


इस कारण बसों का परिचालन करना पड़ा बंद
उद्घाटन के बाद वर्ष 2020 तक सिटी बसों का संचालन ठीक-ठाक होता रहा लेकिन कोविड संक्रमण के जोर पकड़ते ही सभी 40 सिटी बसों को टर्मिनल में खड़ी कर दी गई. बसों का परिचालन बंद होने के बाद नगर निगम को मिलने वाली रायल्टी भी बंद हो गई. कोविड संक्रमण के कमजोर पड़ने पर टैक्स के बोझ से दबे बस संचालकों ने अपनी बसों को चलाने की कोशिश भी की. लेकिन कम सवारियां मिलने के कारण भारी आर्थिक नुकसान होने के कारण कई बसों का परिचालन बंद करना पड़ा. स्थिति को देख सिटी बस सर्विस प्रोवाइडर ट्रांसपोर्ट कंपनी बसों के परिचालन को लेकर चुप्पी साधे रही. 


पड़े-पड़े 22 बसें कंडम हो गई थीं
कोविड संक्रमण से राहत मिलने के बाद कंपनी ने मई 2020 में फिर से सिटी बसें चलाने की पहल की. बसों की जांच की गई तो वर्षों तक एक जगह पड़े-पड़े 22 बसें कंडम हो गई थी. अधिकांश बसों के टायर-ट्यूब एवं बैट्री सड़ गई है. बसों के अन्य कलपुर्जे भी खराब हो गए हैं. बसों में कई इलेक्ट्रॉनिक फीचर होने के कारण मोटी रकम खर्च होने की संभावना पर कंडम सिटी बसें टर्मिनल में पड़े हैं.


पुराने रूट पर चल रही 15 बसें
परिचलन योग्य 18 बसों में से 3 को जशपुर कलस्टर को प्रदान किया गया है, जबकि ट्रांसपोर्ट कंपनी 15 बसों का परिचालन पुराने मांगों पर कर रही है. वर्तमान में सूरजपुर उदयपुर, मैनपाट, सीतापुर मार्ग में बसों का परिचालन किया जा रहा है. पूर्व में इन्हीं मांगों पर कई बसें चलती थीं. कुछ मुख्य मार्ग से चलती थीं तो कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरती थी. संख्या कम होने के बाद अधिकांश सिटी बसें मुख्य मार्ग से आवागमन कर रही हैं. अब दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बस की सुविधा नहीं मिल रही है.


मरम्मत के लिए चाहिए मोटी रकम
कंडम सिटी बसों की मरम्मत के लिए अब मोटी रकम की जरूरत है. सर्विस प्रोवाइडर सिटी बसों को दुरुस्त होने के बाद ही परिचालन करेगी। इसके लिए निगम राज्य शासन से उम्मीद लगाए बैठा है. नगर निगम अम्बिकापुर ने सिटी बसों को दुरुस्त करने के लिए 1.65 करोड़ रुपये की मांग की है. शासन द्वारा राशि उपलब्ध कराने के बाद ही अब कबाड़ बसों का परिचालन संभव है.


कम हुई रायल्टी की राशि
पूर्व में सिटी बसों के परिचालन से नगर निगम को हर महीने 25 लाख की रॉयल्टी मिलती थी. 22 बसों के खड़े-खड़े कंडम होने के कारण रायल्टी घटाकर 1 लाख रुपए निर्धारित किया गया है लेकिन सर्विस प्रोवाइडर कंपनी हर महीने 80-90 हजार का ही रायल्टी भुगतान कर रही है.


भेजा गया प्रस्ताव
नगर निगम अम्बिकापुर के महापौर डॉ अजय तिर्की ने कहा कि कोविड काल में लम्बे समय तक परिचालन बंद होने के कारण 22 सिटी बसें खड़े-खड़े कंडम हो गई है. कंडम बसों की मरम्मत के लिए शासन को 1.65 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है. राशि उपलब्ध होते ही सभी बसों को दुरुस्त कराया जाएगा.