Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता सोने से कम नही है. वे तपती धूप में कड़ी मेहनत कर इस हरे सोने का संग्रहण करते हैं. इसके एवज में मिलने वाली पारिश्रमिक से कई जरूरतो की पूर्ति होती है. इस बार हरे सोने से संग्राहक मालामाल होंगे. दरअसल शासन ने इसकी कीमत बढ़ा दी है. बीते वर्ष तेंदूपत्ते की खरीदी प्रति मानक बोरा 4 हजार के दर से की गई. इस वर्ष संग्राहकों को प्रति सैकड़ा 550 रूपए मिलेंगे. यह राशि सीधे बैंक खाते में जमा किए जाएगी.
आय का प्रमुख स्त्रोत है तेंदूपत्ता संग्रहण
देश में कोरबा की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में की जाती है. यहां संचालित एसईसीएल की भूमिगत और खुली खदानों में हजारों टन कोयले का उत्पादन किया जाता है. विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली बिजली से कई राज्य रोशन होते हैं. इस मामले में कोरबा की जंगल भी कम नही है. जिले का करीब 60 फीसदी हिस्सा वनो से आच्छादित है. जिसे कोरबा व कटघोरा वनमंडल में विभाजित किया गया है.
दोनों ही वनमंडल में वन्यजीवों की भरमार है. औषधीय गुण वाले पेंड़ पौधों की भरमार है. वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों द्वारा महुआ, चार चिरौंजी सहित कई प्रकार के वनोपज का संग्रहण किया जाता है. जिसकी मांग राज्य के अलावा विभिन्न प्रांतों में भी होती है. उनके लिए आय का प्रमुख स्त्रोत तेंदूपत्ता संग्रहण है.
तेंदूपत्ते के प्रति मानक बोरे में 15 सौ रूपए की बढ़ोत्तरी
ग्रामीण महज कुछ ही दिनों के भीतर अच्छी खासी आमदनी कमा लेते हैं. इस राशी का उपयोग वे न सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए करते हैं, बल्कि शादी ब्याह, मकान बनाने जैसे खर्चीले काम भी इसी राशि से निपटा लेते है. पहले तपती धूप में कड़ी मेहनत के बाद संग्राहक तेंदूपत्ता को लेकर घर पहुंचते थे. घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर पत्ते की गड्डी तैयार करते थे. जिसे देर शाम फड़ ले जाकर बेचा जाता था, तब कहीं जाकर थोड़ी बहुत आमदनी होती थी.
इन मेहनतकश संग्राहकों को पारिश्रमिक बढ़ने का इंतजार था. जिसे देखते हुए शासन ने एक बार फिर तेंदूपत्ता की दर मे बढ़ोत्तरी कर दिया है. पहले जहां तेंदूपत्ता की खरीदी प्रति सैकड़ा 400 रूपए की दर से की जाती थी. यह राशी बढ़ाकर 550 रूपए कर दी गई. इस लिहाज से देखें तो तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा 15 सौ रूपए की बढ़ोत्तरी हुई है. जिसका भुगतान विभाग द्वारा सीधे संग्राहकों के खाते में किया जाएगा, ताकि उनको कोई चूना न लगा सकें.
तेंदूपत्ता संग्रहण से पूर्व तैयारी पूरी
जिला यूनियन के उप संचालक एसएस कंवर ने बताया कि कोरबा वनमंडल को 53 हजार 800 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य प्राप्त हुआ है. तेंदूपत्ता संग्रहण से पूर्व साख कर्तन सहित अन्य तैयारियां शुरू कर दी गई है. साख कर्तन से 45 दिन के बात तेंदूपत्ता तोड़ने योग्य हो जाता है. इस लिहाज से 1 मई के आसपास अधिकांश फड़ों में तेंदूपत्ता संग्रहण और खरीदी का कार्य शुरू किया जाएगा.
मौसम का पड़ सकता है असर
वन मुख्यालय द्वारा कोरबा व कटघोरा वनमंडल को तेंदूपत्ता के लिए लक्ष्य दिया जाता है. इस बार भी विभाग ने लक्ष्य को हासिल करने पहले से ही तैयारी कर ली है, लेकिन मौसम लक्ष्य के बीच रोड़ा बन सकता है. दरअसल, बीते कुछ समय से मौसम का उतार चढ़ाव जारी है. यदि तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू होने के बाद आंधी तूफान या बारिश होती है, तो इसका सीधा असर संग्रहण पर पड़ सकता है.
34 लॉट के तेंदूपत्ता की हो चुकी है बिक्री
वन विभाग द्वारा संग्राहकों से खरीदे गए तेंदूपत्ता की बिक्री के लिए भी नियम निर्धारित है. जिसके अनुसार पहले ही तेंदूपत्ता की बिक्री प्रदेश स्तर पर टेंडर प्रक्रिया से की जाती है. कोरबा वनमंडल 138 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति हैं, जिसके 34 लॉट बनाए गए हैं. इन सभी लॉटों मे आने वाले तेंदूपत्ता की बिक्री की जा चुकी है. नियमानुसार खरीदार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है.
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