Ambikapur: गांव में घूम रहा 27 हाथियों का दल, चिंघाड़ से सहमे ग्रामीण, DFO ने संभाली कमान
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों लोग हाथियों के आतंक से परेशान है. दरअसल, हाथियों का एक ग्रुप ग्रामीण इलाकों से होकर गुजर रहा है.
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Ambikapur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अंबिकापुर (Ambikapur) शहर की सीमा पर तीन दिन से घूम रहे 27 हाथियों के समूह को जंगल में ही सीमित रखने और इनके वापसी का मार्ग बनाने में वन विभाग को काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. हाथियों (Elephants) के निगरानी के साथ हाथी विचरण क्षेत्र के गांवों में कोई जनहानि न हो इसकी मॉनिटरिंग सरगुजा वन मंडल अधिकारी टी. शेखर कर रहे हैं. अनुमान है कि हाथी जिस मार्ग से होकर यहां तक पहुंचे हैं वे उसी मार्ग से वापस भी लौटेंगे, इसलिए हाथियों का मार्ग अवरोध करने वाले ग्रामीणों को समझाया जा रहा है. साथ ही वन विभाग ने पुलिस की भी मदद मांगी है.
सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिाकापुर के पास बधियाचुआं क्षेत्र के ग्रामीण हाथियों के चिंघाड़ से पूरी रात सहमे रहे. हाथी तीन दिनों से शहर की सीमा से लगे ग्राम बधियाचुआं और उसके आसपास के गांव में विचरण कर रहे हैं. हाथियों के तीन दिन से विचरण के बावजूद कोई जनहानि नहीं हुई है और वन विभाग का अमला लगातार प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण कर उन्हें हाथियों के उपस्थिति की जानकारी दे रहा है. डीएफओ टी. शेखर ड्रोन कैमरा के माध्यम से हाथियों की निगरानी कर रहे हैं.
ग्रामीणों का मिल रहा सहयोग
वनमंडलाधिकारी टी. शेखर ने कहा कि ग्रामीणों का सहयोग मिलने के चलते ही अब तक कोई जनहानि नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि मुनादी कराने का असर भी गांवों में दिख रहा है और हाथियों की मौजूदगी के दौरान ग्रामीण जंगल में भी प्रवेश नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों से हाथी विचरण क्षेत्र वाले जंगल से लगी आबादी वाले क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया जा रहा है.
तीन दलों में बंट गया है हाथियों का दल
दिन के उजाले में तो ड्रोन और हाथी मित्र दल के सदस्यों की मदद से हाथियों की निगरानी हो रही है, लेकिन शाम ढलने के बाद अंधेरे जंगल में हाथियों की निगरानी में दिक्कत भी आ रही है. जानकारी के अनुसार हाथियों का समूह तीन दलों में बंट गया है जिसमें दंतैल के साथ एक अन्य हाथी अलग क्षेत्र में विचरण कर रहा है. हाथियों के एक समूह में रहने पर अब तक प्रभावी सुरक्षा के उपाय होते रहे हैं, लेकिन अलग-अलग दल में बंटने के बाद रात के अंधेरे में कौन से दल का हाथी किस ओर पहुंच जाएगा इसको लेकर संशय भी बना हुआ है.
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