Anganwadi Workers Protest in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. आंदोलन के 6 दिन पूरे होने को हैं लेकिन अब तक राज्य सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने का खामियाजा बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा. बस्तर संभाग में सुपोषण अभियान दम तोड़ता नजर आ रहा है. संभाग के 7 जिलों में लगभग हजारों आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताला लग चुका है. आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार नहीं मिल रहा है. 


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल का छह दिन पूरा


रेडी टू ईट से लेकर कुपोषित बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. कुपोषित बच्चों के लिए समस्या बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. महिला बाल विकास के अधिकारियों ने बताया कि आगनबाड़ी केंद्रों को शुरू करने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है. एक साथ सहायिका और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने से कामकाज ठप हो गया है. सबसे बुरा हाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का है. पहले ही सीमित पोषण आहार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचता है. सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों की संख्या भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में है. उनको 7 दिनों से पोषण आहार मिलना पूरी तरह बंद हो गया है.




सबसे ज्यादा बस्तर संभाग में कुपोषित बच्चों की संख्या


बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चों की संख्या है. कुपोषित बच्चों की संख्या कम करने के लिए सरकार अलग से बजट जारी कर सुपोषण अभियान भी चला रही है. एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को सुपोषण अभियान के तहत पोषण आहार नहीं मिल रहा है. सप्ताह भर से आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताला लग चुका है. महिला बाल विकास अधिकारी ने बताया कि फिलहाल बस्तर जिले में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 25 फीसद है. बस्तर संभाग में आंकड़ा 45 प्रतिशत है. कुपोषण का प्रतिशत कम करने के लिए विभाग ने काफी मेहनत की है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. अब हड़ताल से कुपोषित बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. विभाग के लिए भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है. कुपोषित बच्चों का प्रतिशत भी बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है. बस्तर संभाग में एनीमिया पीड़ित महिलाओं की भी संख्या सबसे ज्यादा है.




एनीमिया पीड़ित महिलाओं की कैसे दूर होगी बीमारी?


आंगनबाड़ी केंद्रों से गरम भोजन के साथ रेडी टू इट और अन्य पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है. हड़ताल की वजह से एनीमिया पीड़ित महिलाओं को पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार के सामने 5 सूत्रीय मांग रखी है. उनका कहना है कि राज्य सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था. हमारी मांग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को नियमित शासकीय कर्मचारी का दर्जा और पेंशन का लाभ देना शामिल है. छत्तीसगढ़ सरकार वायदे पूरा नहीं कर रही है. मजबूरी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठना पड़ा है. उन्होंने कहा कि पूरे बस्तर संभाग के करीब 20 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता और सहायिका हड़ताल पर बैठे हुए हैं. मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा. 


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