Bastar News: नक्सल संगठन में लड़ाके और शार्प शूटर का संकट, सुरक्षा बलों को मिला फ्री हैंड, जवानों का जोश हाई
Anti Naxal Operation: बस्तर में सुरक्षा बलों को मिल रही ताबड़तोड़ कामयाबी के बाद नक्सलियों को नये संकट का सामना है. बीजेपी सरकार में जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ तेवर कड़े कर लिये हैं.
Anti Naxal Operation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में सुरक्षा बलों का जोश हाई लेवल पर है. बीते कुछ महीनों से जवान नक्सलियों पर भारी पड़ रहे हैं. एंटी नक्सल ऑपरेशन ने आक्रामक रुख अपना लिया है. मांद में घुसकर नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. नक्सली संगठन के लड़ाके और शार्प शूटर मुठभेड़ में लगातार मारे जा रहे हैं. अब नक्सली संगठन को लड़ाकू और शार्प शूटर की कमी का सामना करना पड़ रहा है. सुरक्षित ठिकानों से निकलकर नक्सलियों के पलायन की भी खबर है.
जोश में सुरक्षा बलों के जवान
माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नक्सली बैकफुट पर आ गये हैं. बीजेपी सरकार में जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ तेवर कड़े कर लिये हैं. सीआरपीएफ, बीएसएफ, कोबरा, आइटीबीपी समेत अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों के बंधे हाथ खुल गए हैं. केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों से सुरक्षा बलों को लगभग फ्री हैंड मिल गया है. कांकेर में मुठभेड़ के दौरान 29 नक्सलियों की मौत सबसे बड़ा उदाहरण है. नक्सलियों के खिलाफ जंग में पुलिस और सुरक्षा बलों को लगातार कामयाबी मिल रही है.
बस्तर आईजी से मिली जानकारी के मुताबिक 4 माह में सुरक्षा बलों ने 85 नक्सलियों को ढेर कर दिया है. 2001 से लेकर 2024 तक नक्सलवाद के खिलाफ जारी युद्ध में अब तक 1180 नक्सली मारे गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक 1285 जवान भी वीरगति को प्राप्त हुए हैं. नक्सलियों ने बस्तर के शांत वातावरण को अशांत बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी थी. जनता के हित की बात करने वाले नक्सलियों ने वर्चस्व और भय का माहौल बनाए रखने की नीयत से 1721 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर दी.
नक्सलियों को लग रहा झटका
बताया जा रहा है कि सीधी लड़ाई में नक्सलियों को भारी नुकसान हो रहा है. ग्रामीणों की मौत का ग्राफ नीचे गिर रहा है और जवानों की शहादत में भी कमी आई है. केंद्र और प्रदेश की डबल इंजन वाली सरकार ने बस्तर में चल रही नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई की बाजी पलट दी है. पिछले तीन माह से चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान में नक्सली पूरी तरह बैकफुट पर आ गए हैं. दो दशक बाद बस्तर में अब परिस्थितियां काफी बदली हुई दिखाई दे रही हैं.
मांद में घुसकर मुंहतोड़ जवाब
ग्रामीणों की हत्या और जवानों के बलिदान की घटनाओं में कमी आई है. सुरक्षा बल सीधे नक्सलियों के घर में घुसकर प्रहार कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी का कहना है कि माओवादी संगठन बस्तर इलाके में काफी मजबूत था. पिछले कुछ महीनों से लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चल रहा है. उन्होंने कहा, 'नक्सलियों के मारे जाने से लड़ाकू और शार्प शूटर की कमी हो गयी.
सरकार की योजनाएं गांव गांव तक पहुंचने से स्थानीय युवा भी नक्सली संगठन से नहीं जुड़ रहे हैं. अंदरूनी क्षेत्रों में पिछले दो सालों के दौरान 90 से ज्यादा पुलिस कैंप भी खुल गये हैं.' 4 महीनों में जवानों ने PLGA के कई लड़ाकू नक्सलियों को मार गिराया है. नक्सलियों के अत्याधुनिक हथियार भी बरामद किए गये हैं.