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Chhattisgarh Tribal Reservation: आदिवासी आरक्षण पर गंभीर हो जाए सरकार, नहीं तो चुनाव के लिए चौथा विकल्प तैयार- अरविंद नेताम
Chhattisgarh Tribal Reservation: वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि नवंबर महीने तक आरक्षण को लेकर अगर सरकार ठोस कदम नहीं उठाती है तो इसके बाद बस्तर में आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी.
Chhattisgarh Tribal Reservation: एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 32 प्रतिशत आरक्षण में 12% की कटौती किए जाने से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में लगातार आदिवासी समाज के लोग आंदोलन कर रहे हैं. वहीं बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) भी आदिवासियों को साधने की अपने-अपने तरीके से साधने की कोशिश में जुटी है. बीजेपी जहां नेशनल हाईवे पर चक्का जाम और विशाल रैली निकालकर आरक्षण में कटौती को लेकर भूपेश सरकार (Bhupesh Government) को घेर रही है तो वहीं कांग्रेसी पिछली बीजेपी सरकार को कोस रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम (Arvind Netam) ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक बड़ा बयान दिया है.
अरविंद नेताम ने कहा है कि अगर सरकार आदिवासियों को आरक्षण देने के मामले में गंभीर नहीं होती है तो बस्तर संभाग में आदिवासी समाज की ओर से छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे जाएंगे. छत्तीसगढ़वासियों के लिए चौथा विकल्प तैयार किया जाएगा, क्योंकि आरक्षण को लेकर बस्तर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के दूसरे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भी बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के प्रति काफी नाराजगी है. इस वजह से जल्द ही सरकारें इस मामले में गंभीर नहीं होती हैं तो इसका खामियाजा दोनों राष्ट्रीय पार्टी को भुगतना पड़ेगा. अरविंद नेताम ने यह भी कहा कि पहले ही सरकार बड़े-बड़े उद्योग के नाम पर आदिवासियों के जल, जंगल जमीन को छीन रही है. वहीं दूसरी तरफ अब आरक्षण को समाप्त करने के बाद आदिवासी युवाओं से उनके नौकरी का अधिकार छीना जा रहा है.
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अदिवासी विधायक और सांसद पर लगाया ये आरोप
अरविंद नेताम ने कहा कि नवंबर महीने तक आरक्षण को लेकर अगर सरकार ठोस कदम नहीं उठाती है तो इसके बाद बस्तर में आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी. उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के आदिवासी नेताओं को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अक्सर समाज की बात करने वाले नेता चुनाव लड़ के विधायक और सांसद बन जाते हैं, लेकिन समाज के मुद्दे उठाना भूल जाते हैं. साथ ही पार्टी को ज्यादा महत्व और समाज को दरकिनार कर देते हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में आरक्षण के मुद्दे को लेकर आदिवासी समाज की ओर से किए गए आंदोलन को उन्होंने ट्रेलर बताया और कहा कि अभी पिक्चर पूरी बाकी है, इसलिए सरकार एससी-एसटी और ओबीसी को पूरा 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए गंभीर हो जाए, नहीं तो इसका अंजाम भुगतने को तैयार हो जाए.
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