Assembly Elections 2023: छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और देश में यह ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सबसे कमजोर नजर आती है. इसके साथ ही राज्य में बीजेपी के लिए चेहरा भी एक चुनौती बनता जा रहा है. राज्य में डेढ़ दशक तक भारतीय जनता पार्टी का राज रहा, मगर पिछले चुनाव में पार्टी का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया. अब सत्ता में वापसी कैसे की जाए, इसके लिए पार्टी हर रणनीति पर काम कर रही है. एक तरफ संगठन में बड़े बदलाव किए गए हैं तो वहीं जमीनी स्तर पर भी जमावट को मजबूत किया जा रहा है. साथ ही कांग्रेस की अंदरखाने चल रही खींचतान पर भी नजर है.
राज्य में बीजेपी सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ वैसे आंदोलन खड़े करने में नाकाम रही है, जो कभी बीजेपी की पहचान रही है. जिले स्तर पर तो आंदोलन विरोध प्रदर्शनों का दौर चलता रहता है, मगर प्रदेश स्तर पर ऐसा कोई आंदोलन खड़ा करने में पार्टी सफल नहीं हो पा रही है जिसके चलते जनमानस में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया जा सके.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार हर वर्ग के लिए न केवल योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं बल्कि उन्हें अमलीजामा भी पहनाने में लगे हैं. कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद किसान कर्ज माफी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की मुहिम और अब चुनावी साल में बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान कर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
राज्य में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती चेहरे का चयन भी बन चुका है. यह बात अलग है कि राज्य में डेढ़ दशक तक बीजेपी की सरकार डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में रही है मगर अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह तस्वीर अब भी धुंधली है.
बीजेपी किसी आदिवासी को या गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाएगी यह भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. वहीं कांग्रेस भूपेश बघेल के जरिए पिछड़े वर्ग का कार्ड तो खेल ही चुकी है साथ में जनजाति है और अनुसूचित जनजाति वर्ग को भी लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इन स्थितियों में बीजेपी को मुकाबले के लिए कारगर रणनीति के साथ चेहरा भी चुनौती बनता जा रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए सत्ता का रास्ता आसान नहीं है. इसकी वजह भी है क्योंकि संगठन इतना मजबूत नहीं है जो कांग्रेस और भूपेश बघेल सरकार को चुनौती देने की स्थिति में हो. इसके साथ ही बीजेपी का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह भी स्पष्ट नहीं है. इसी का नतीजा है कि पार्टी के दिग्गज नेता जमीन पर सक्रिय नजर नहीं आते. दूसरी ओर कांग्रेस वह सारे दाव-पेंच अपनाने में पीछे नहीं है जिसके चलते जनता में पैठ बनाई जाए और उसका दिल भी जीता जाए.
राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस का 71 पर कब्जा है, वहीं बीजेपी के 14 विधायक हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तीन और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं. इतना ही नहीं राज्य के सभी 14 नगरीय निकायों पर कांग्रेस का कब्जा है.
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