Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्य्या (Ayodhya) में बन रहे राम मंदिर (Ram Mandir) को लेकर इस समय पूरे देश में खुशी का माहौल है. 22 जनवरी को होने वाली रमालला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) को देखते हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर  (Bastar) में भी सभी राम मंदिरों में धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं. दरअसल, भगवान राम के वनवास का इतिहास छत्तीसगढ़ का दंडकारण्य क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर से जुड़ा है.


भगवान राम के वनवास के दौरान जिन जगहों पर उनके पैर पड़े थे, उन सभी जगहों को रामवनगमन पथ से जोड़ा गया है.इन्हीं जगहों में से एक है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध चित्रकोट वाटरफॉल. चित्रकोट वाटरफॉल से भगवान राम का इतिहास जुड़ा हुआ है. अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम कांकेर से होते हुए चित्रकोट वाटरफॉल पहुंचे थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता बस्तर के रास्ते से गुजरते हुए दक्षिण भारत के भद्राचलम पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बस्तर के चित्रकोट और तीरथगढ़ वॉटरफॉल में भी समय गुजारा था. 


चित्रकोट वॉटरफॉल में भगवान राम ने की थी शिवलिंग स्थापना
आज भी इन जगहों में भगवान राम के आने के प्रमाण मिलते हैं. चित्रकोट वॉटरफॉल में भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना भी की थी, जहां अब एक भव्य मंदिर बन गया है. इसका जीर्णोद्धार कुछ साल पहले ही किया गया. इस मंदिर के शिलालेख में भगवान राम के वनवास से  जुड़ी कहानी भी प्रदर्शित है. इतिहासकार सुभाष पांडे बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम अपने वनवास के चौथे चरण में बस्तर पहुंचे थे. 


इतिहासकार सुभाष पांडे बताते हैं कि भगवान राम ने धमतरी से कांकेर, कांकेर से रामपुर, जुनवानी, केशकाल घाटी शिव मंदिर, राकसहाड़ा, नारायणपुर, चित्रकोट वाटरफॉल शिव मंदिर, तीरथगढ़ वॉटरफॉल, सीताकुंड, कोटी माहेश्वरी, कुटुमसर गुफा, उड़ीसा के मलकानगिरी गुप्तेश्वर और सुकमा जिले के रामा राम मंदिर से होकर दक्षिण भारत के लिए प्रस्थान किया था. वहीं शोधकर्ता विजय भारत ने बताया कि भगवान राम ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान दंडकारण्य में ही अपना ज्यादा समय बिताया था.


भगवान राम ने छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को बनाया था आश्रय
उन्होंने बताया कि भगवान राम ने वनवास के दूसरे पड़ाव में अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय बनाया था. यह काफी घनघोर जंगल क्षेत्र था. दंडकारण्य से होते हुए भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता बस्तर के चित्रकोट वॉटरफाल पहुंचे. यहां भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता ने ऋषि मुनियों के आश्रम में अपना कुछ समय बिताया था. इस दौरान भगवान राम ने यहां एक शिवलिंग की भी स्थापना की, जहां अब एक भव्य मंदिर बन गया है.


चित्रकोट शिव मंदिर में पूजा की तैयारी
शोधकर्ता विजय भारत ने बताया कि यहां हर साल शिवरात्रि और रामनवमी के मौके पर मेला भी लगता है, जिसमें दूर दूर से लोग पहुंचते हैं. वहीं चित्रकोट को रामवनगमन पथ में शामिल करते हुए चित्रकोट वाटरफॉल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है. आने वाले समय मे यहां पर भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है.


इधर 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को देखते हुए चित्रकोट शिव मंदिर में भी पूजा की तैयारी की जा रही है, जिसमें चित्रकोट के आसपास गांव के सैकड़ों लोग शामिल होंगे.


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