Azadi Ka Amrit Mahotsav: कैसे देशवासियों पर जुल्म ढाते थे अंग्रेज? 112 साल के स्वतंत्रता सेनानी ने बताया आंखों देखा हाल
Raipur News: रायपुर में आजादी के अमृत महोत्सव और क्रांति दिवस पर देश के स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवारों का सम्मान किया गया.
Chhattisgarh News: भारत में अंग्रेजों ने 200 साल राज किया. इस दौरान भारतवासियों पर जुल्म की सारी सीमाएं अंग्रेजों ने लांघ दी. सर से बाल नोच लेते थे, शरीर से मांस काट लेते थे. इस तरह से देशवासियों पर जुल्म ढाते थे. इसलिए जब भी 15 अगस्त यानी भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है उस दिन हमारे पूर्वजों के कुर्बानियों को याद कर सबकी आंखें नम हो जाती है. जानते हैं जिस दौर में देश आजाद हुआ उस दौर के लोगों से.
रायपुर में हुआ 22 राज्यों के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान
देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसी कड़ी में राजधानी रायपुर में आजादी के अमृत महोत्सव और क्रांति दिवस पर देश के स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवारों का सम्मान किया गया. रायपुर के गुढ़ियारी स्थिति निजी भवन में देश के स्वतंत्रता सेनानी के परिवारजनों का राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय सम्मेलन में 22 राज्य के स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार वाले शामिल हुए. इन स्वतंत्रता सेनानियों की आज कहानी बताते हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ आंदोलन हो चुके हैं शामिल
आजादी से पहले राष्ट्रपति महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन में साथ रहे 112 साल के स्वतंत्रता सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया कि हमलोगों ने महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी है. उन्होंने कहा कि अंग्रेज बहुत जुल्म ढाते थे, अंग्रेज सर से लोगों के बाल नोच देते थे. दर्द से कराहते लोग भी अंग्रेजों के सामने नहीं झुकते थे.
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने उनके पैर का मास काट लिया था. इसके चलते आज तक चलने में दिक्कत होती है. उन्होंने बताया कि उस समये लोग दाने-दाने के लिए तरस जाते थे. उस समय लोग गन्ने और धान के पत्ते को उबाल कर खाने के लिए मजबूर होते थे.
दो देशों के बंटवारे में खुशी से ज्यादा दुखी थे लोग
94 साल के अवतार सिंह ने बताया कि वो आजादी के वक्त पाकिस्तान में थे. जब दोनो देश का बंटवारा हुआ तो वे पाकिस्तान के हिस्से में आ गए लेकिन भारत में रहना चाहते थे. उन्होंने भावुक होकर बताया कि उन्हें मात्र 16 साल की उम्र में लाहौर के सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था और बच्चों की जगह बड़ों के जेल में बंद किया गया. उन्होंने बताया कि जेल की डायरी में उनकी उम्र 18 साल लिख दिया गया था लेकिन जब अंग्रेज वापस लौटे तो वे जेल से बाहर निकले और फिर भारत लौट आए.
इस समय देश आजाद हुआ था लेकिन अमीर हो या गरीब सब दुखी थे क्योंकि बंटवारे के बाद दोनों देश के बीच जंग छिड़ गई. एक दूसरे को लोग मारने-काटने लगे. इस दौरान सभी लोगों ने अपनों को खोया है.