Chhattisgarh News: देश को आजादी मिले 75 हो चुके हैं. मगर कई गांव ऐसे हैं, जहां अब तक सड़क जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पाई है. ऐसा ही छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में भी एक गांव है, जहां अब सड़क बनाई जा रही है. बलरामपुर रामानुजगंज जिले का पुंदाग गांव जिला मुख्यालय से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी करीब 22 सौ है. हर चुनाव में नेता यहां वोट के लिए तो पहुंचते रहे, लेकिन इस गांव में अब तक सड़क नहीं बनाई जा सकी.
विकास की जगी उम्मीद
पुंदाग गांव के पहाड़ी कोरवा जनजाति के अमावस बताते हैं कि मेरी उम्र करीब 40 साल है. लेकिन मैं अब तक जिला मुख्यालय बलरामपुर नहीं गया हूं. इसकी वजह पूछने वे कहते हैं कि यहां से बलरामपुर जाने के लिए सड़क ही नहीं थी. हमारे गांव के लोग काम पड़ने पर झारखंड के रास्ते प्रदेश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना करते थे. कभी कोई बीमार पड़ता था, तो बहुत परेशानी होती थी. उन्होंने कहा कि सड़क बन जाने से हमारे बच्चों को बड़ा फायदा होगा, वे उच्च शिक्षा के लिए गांव से बाहर जा पाएंगे.
इसलिए नहीं बन पाई सड़क
दरअसल, पुंदाग गांव तक जाने के लिए घने जंगल और कई घाटों को पार करके जाना पड़ता है. दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां सड़क बनाना आसान नहीं था. बीच रास्ते में कई चट्टाने और नाले बड़ी बाधा थी. इसके साथ ही ये इलाका नक्सल प्रभावित भी था. इस गांव के तुरंत बाद झारखंड सीमा पर बूढ़ा पहाड़ का इलाका है, जिसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. राज्य बनने के बाद से इस इलाके में करीब 435 नक्सली घटनाएं हो चुकी हैं. हालांकि, पिछले चार वर्षो की बात करें तो कुछ छिटपुट घटनाएं ही हुई हैं. साथ ही एक भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है. पुलिस ने इस क्षेत्र से नक्सलियों को करीब-करीब खदेड़ दिया है .
नक्सलियों के सफाए के बाद विकास ने पकड़ी रफ्तार
पूर्व में नक्सली घटनाओं के चलते इस क्षेत्र में विकास कार्यो की गति थोड़ी धीमी हो गई थी, लेकिन पिछले चार वर्षो में यहां 24 किलोमीटर में चार कैंप स्थापित किए गए हैं. ये कैंप सबाग, बंदरचुआं, भुताही और पुंदाग में लगाए गए हैं. इन कैंप को खोलने में राज्य सरकार ने पूरी सहायता उपलब्ध कराई है. यहां पर जवानों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कई बोर कराए गए हैं. कैंप खुलने का नतीजा ये हुआ कि यहां से नक्सली घटनाएं एकदम शून्य की ओर है और इलाके में विकास कार्य तेजी से शुरू हो गया है.