Jal Jeevan Mission scheme: गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमियों को दूर करने के लिए सरकार कई योजनाएं बनाती है, इसके लिए पंचायतों को लाखों रुपए दिए जाते हैं. इसके बावजूद कहीं-कहीं प्रशासनिक उदासीनता की वजह से लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता. इसका उदाहरण बलरामपुर (Balrampur) जिले में देखने को मिला है, यहां जिला मुख्यालय से लगे गांव में जल जीवन मिशन योजना का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से ग्रामीण पीने के पानी के लिए मशक्कत करते दिख रहे हैं. इस मामले को लेकर पीएचई विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन योजना चला रही है, जिसके क्रियान्वयन के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है. ताकि ग्रामीणों को उनके घरों में ही नल से शुद्ध पानी मिल सके.
बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगे भनौरा गांव में सालभर बाद भी इस योजना का पानी ग्रामीणों के घर तक नहीं पहुंच सका है. ग्रामीणों के घरों में जल जीवन मिशन योजना के तहत करीब साल भर पहले नलों का कनेक्शन विभाग ने लगा दिया था लेकिन पानी की सप्लाई अब तक शुरू नहीं हो सकी है.
बीजेपी नेता रामविचार नेताम ने सरकार को घेरा
ग्रामीणों का कहना है कि उनके घरों में प्रशासन ने नल तो लगा दिया लेकिन पानी की सप्लाई देना भूल गया. उन्हें आज भी कुएं या फिर कहीं दूर से पानी लाना पड़ता है. जिला मुख्यालय से लगे गांव में जल जीवन मिशन योजना का बुरा हाल देखकर पूर्व राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता रामविचार नेताम ने बयान दिया.
बीजेपी नेता ने कहा कि केंद्र सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, उसमें छत्तीसगढ़ सरकार लीपापोती कर रही है, जिससे आज जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है. नेताम ने जन जीवन मिशन योजना में घटिया निर्माण का आरोप लगाते हुए प्रशासन से जांच की मांग की है.
रामविचार नेताम ने कहा कि कहीं पाइप लगाया जा रहा है, तो वो थर्ड क्लास का पाइप है, जो फट जा रहा है. पानी का सप्लाई नहीं हो पा रहा है, ये स्थिति पूरे जिले में है. जल जीवन मिशन का काम ठप पड़ा हुआ है. जिला प्रशासन से मांग है कि इसे संज्ञान में लेकर क्वालिटी स्तर का काम करायें. उन्होंने कहा कि जो स्टैंडर्ड भारत सरकार ने पेश किया है, उस स्तर का काम हो और आमजनों को योजना का लाभ मिले.
अधिकारी पल्ला झाड़ते हुए नजर आए
मामले में जब पीएचई विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली गई तो वे अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आए. योजना के संचालन में लेटलतीफी का ठीकरा क्रेडा विभाग पर फोड़ने की कोशिश करते दिखाई दिए. पीएचई विभाग के एसडीओ वीके चौदहा ने बताया कि उस गांव में दो सोलर पंप आधारित योजनाएं थी, जो की बसाहट थी.
उसमें दो सोलर पंप की राशि क्रेडा विभाग को वर्ष 2022 के शुरुआत में दी गई थी. जिसमें उनके द्वारा एक जगह फाउंडेशन का निर्माण कार्य किया गया. दूसरी जगह स्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया है और अभी तक उसमें पंप स्थापना का कार्य नहीं हो सका है. उन्होंने आगे बताया कि क्रेडा विभाग द्वारा जिस जगह प्लेटफार्म का कार्य किया गया है, वहां कुछ फसल लगी हुई है. उस चक्कर में ग्रामवासी वहां मशीन का सामान ले जाने से मना कर रहे हैं.