Chhattisgarh News: यूक्रेन और रूस के बीच तनाव की वजह से भारत में परिजनों की चिंता बढ़ गई है. युद्ध जैसे बने हालात ने यूक्रेन में पढ़ाई करने गए भारतीय बच्चों के परिजनों में भय का माहौल है. परिवार के लोग केन्द्र सरकार से बच्चों की सुरक्षा और घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. बलरामपुर जिले के दो मेडिकल छात्र भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. दोनों छात्र कुसमी के रहने वाले हैं. शुभाशीष मिश्रा और रविकांत मैत्री यूक्रेन में तरनोपिल राज्य के तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढाई कर रहे हैं. शुभाशीष मिश्रा ने अक्टबूर में ही एमबीबीएस फस्ट ईयर के बने हैं और रविकांत मैत्री एमबीबीएस के चौथे साल में हैं.


यूक्रेन से वापस आने के लिए नहीं मिल रही फ्लाइट


परिजनों ने एबीपी न्यूज़ का छात्रों के वतन वापसी की खबर के लिए धन्यवाद किया. पिता परमेश्वर मिश्रा ने बताया कि देश में एडमिशन ना मिल पाने और मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने के कारण शुभाशीष मिश्रा को एमबीबीएस पढ़ने यूक्रेन भेजा है ताकि स्वदेश आकर आदिवासी अंचल के लोगों की सेवा कर सके. लेकिन वर्तमान परिस्थिति के कारण शुभाशीष की मां का रोना नहीं रुक रहा है. बात होने पर बेटा मां को खुश रखने के लिए बोल देता है कि हालात ठीक है. मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने छात्रों को अपने रिस्क और मर्जी से घर जाने की बात कह दी है. पिता ने बताया कि बेटा काफी दहशत में है क्योंकि वापस आने के लिए कोई फ्लाइट नहीं मिल रही है. एयर एजेंसियां कह रही हैं कि जगह नहीं होने के कारण 22 तारीख तक बच्चों को लाना मुश्किल है.


सरकारें चाह लें तो हो सकती वतन वापसी-परिजन


मिश्रा वापसी के लिए साधन नहीं होने से काफी आहत दिखे. उनके मुताबिक कोरोना काल में यूक्रेन के छात्रों को लाने के लिए भारत सरकार ने स्पेशल व्यवस्था की थी. लेकिन फिलहाल सभी पार्टियां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में व्यवस्त हैं, इसलिए बच्चों की कोई सुध नहीं ले रहा है. उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी बात की है. लेकिन शायद उत्तराखंड में हैं. मंत्री ने दूतावास से बात कर प्रयास करने का आश्वासन दिया है. शुभाशीष के पिता परमेश्वर को चिंता है कि रूस के यूक्रेन पर परमाणु हमला करने से सब कुछ समाप्त हो जाएगा. अंत में उन्होंने एबीपी न्यूज़ के माध्यम से अपील की है कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों चाह लें तो बच्चे वतन तत्काल आ सकते हैं. इसलिए उनके बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए कदम उठाना चाहिए. कुछ ऐसा ही हाल रविकांत मैत्री के परिजनों का भी है.


मेडिकल छात्र रविकांत मैत्री के पिता परमेश्वर मैत्री ने भी एबीपी न्यूज़ से बात की. उन्होंने बताया कि बेटा चार साल से यूक्रेन में पढ़ाई कर रहा है और दो महीने बाद मेडिकल के पांचवें साल में चला जाएगा. लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए चिंता और भय बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि बात होने पर पता चला कि बार्डर पर युद्ध जैसे हालात हैं. बेटा बार्डर के दूसरी तरफ रहता है. इसलिए चिंता की बात नहीं है लेकिन परमेश्वर मैत्री का मानना है कि बच्चे हैं. इस तरह के मामले पर ज्यादा गंभीर नहीं हैं. हमारी चिंता और आशंका को बच्चे नहीं समझ सकते क्योकि आज के समय में घातक हथियार और बम बन चुके हैं. उनके उपयोग से सब कुछ समाप्त हो सकता है. इसलिए परिजनों ने केन्द्र सरकार से बलरामपुर के बच्चों समेत यूक्रेन में फंसे अन्य भारतीय छात्रों की तत्काल वतन वापसी की व्यवस्था करने की अपील की है. 


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