Chhattisgarh News: रेत की पोखरी के भरोसे पिछले डेढ़ महीने से संचालित बलरामपुर जिले के रामानुजगंज नगर पंचायत की पेयजल व्यवस्था की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. गर्मी बढ़ने के साथ ही अब पोखरी में रेत से रिसने वाले पानी की मात्रा लगातार घटती जा रही है. जिसका प्रभाव आपूर्ति पर पड़ रहा है जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. मार्च महीने के अंत में कन्हर नदी का स्रोत सूखने के बाद से ही रामानुजगंज के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे थे.
पेयजल आपूर्ति की कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने एवं पानी के लिए पूरी तरह कन्हर नदी पर आश्रित होने के कारण हर साल गर्मी में इस तरह की समस्या निर्मित होती है.
रेत से रिसे पानी से नगरवासियों बुझाते है प्यास
रामानुजगंज नगर पंचायत प्रबंधन हर साल कन्हर नदी के बीच जेसीबी से पोखरी तैयार कर रेत से रिसे पानी से नगरवासियों की प्यास बुझाने की कोशिश करता है. जल संकट की स्थिति को देखते हुए नगर पंचायत ने पहली पोखरी का स्त्रोत सूखने के बाद एक पखवाड़े से अधिक समय से दूसरी पोखरी खोदकर लोगों की प्यास बुझाने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब दूसरी पोखरी भी जवाब देने की स्थिति में है. पिछले पांच-छह दिन से हर दिन तेज अंधड़ चलने के कारण पोखरी नदी रेत से पट गई है वहीं पानी का रिसाव भी कम हो गया है.
पानी के लिए भटकते है लोग
हालत यह है कि दूरस्थ वार्डों में बमुश्किल 30-40 फीसदी ही पानी पहुंच रहा है जिससे लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. जल स्तर नीचे खिसकने के बाद अब तेजी से हैडपंप सूख रहे हैं. जिसके कारण दूरस्थ क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. रामानुजगंज नगर पंचायत प्रबंधन के सामने भी नदी में दूसरी पोखरी खोदने या पोखरी के गहरीकरण के अतिरिक्त कोई दूसरा चारा नहीं बचा है.
अंधड़ चलने के कारण पोखरी नदी की रेत से पट गई है. गर्मी के मौसम में हर साल उत्पन्न हो रहे भीषण जल संकट के निवारण हेतु शासन स्तर पर अब तक कोई कारगर पहल नहीं की गई है.
जेनरेटर की कमी बड़ी समस्या
नगर पंचायत के पास अपना जेनरेटर नहीं होने के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित होने के दौरान नगर में पानी की आपूर्ति ठप रहती है. दशकों पुराना नपं का जेनरेटर वर्षों से अनुपयोगी पड़ा है. विद्युत आपूर्ति ठप होने के दौरान नपं किराए के जेनरेटर से पानी की आपूर्ति करता है. कई बार किराए का जेनरेटर उपलब्ध नहीं हो पाता जिसके कारण पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती.
हर चार-पांच दिनों के अंतराल में ऐसी स्थिति निर्मित होती है कि विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण पेयजल की सप्लाई नहीं हो पाती तथा लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ता है. लंबे समय तक किराए का जेनरेटर लेने पर नपं को भारी- भरकम राशि किराए पर खर्च करना पड़ेगा, इसलिए नपं विद्युत आपूर्ति ब बाधित होने पर किराए का जेनरेटर खोजता है, जिसके कारण परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर नपं टैंकर के माध्यम से पानी की आपूर्ति करता है.
बारिश होने के बाद ही मिलेगी राहत
अब बारिश होने के बाद कव्हर नदी की धारा शुरू होने पर ही जल संकट से राहत मिलने की उम्मीद है. 15 जून के बाद ही मानसून की बारिश होती है. ऐसे में भीषण गर्मी के दौरान एक महीने तक रेत से रिसे पानी के दम पर नगर की पेयजल जरूरतों को पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है. जिस गति से जलस्तर लगातार नीचे खिसक रहा है कभी भी जल संकट विकराल रूप धारण कर सकता है.
हालांकि नपं प्रबंधन हर परिस्थिति से जूझने के लिए स्वयं को तैयार रखने का दावा कर रहा है, लेकिन भीषण गर्मी में बड़ी आबादी के लिए पेयजल की व्यवस्था करना इतना आसान भी नहीं है. वर्तमान में नपं पोखरी में रिसे पानी को हर 2-3 घंटे में लिफ्ट करता है, जिसके कारण पानी को फिल्टर करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती तथा मटमैले पानी की आपूर्ति होने के कारण नगरवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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