Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सरगुजा में किसान के खाते से लाखों रुपए निकालने का मामला सामने आया है. मामला सीतापुर के एक किसान के साथ हुआ दरअसल, सरगुजा ज़िले के सीतापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम चियापारा के रहने वाले किसान लोभन राम एक्का ने एक साल पहले अपने खाते से धान बेचा और सरकार द्वारा धान विक्रय की राशि के रूप में किसान के खाते में 1 लाख 91 हजार 65 रुपए डाले गये. लेकिन जब किसान अपने खाते में आई राशि को निकालने बैंक गया, तो उसे 49,000 रुपये दिए गए.
इसके बाद किसान कुछ महीनों बाद दोबारा बैंक में रुपये निकालने गया, लेकिन किसान के खाते में रुपये ही नहीं थे. जिसके बाद किसान शिकायत लेकर बैंक गया. किसान ने बताया कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मैनेजर ने जानकारी देने से मना कर दिया और किसान को बैंक से भगा दिया. अब पीड़ित किसान ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की है.
बता दें कि पीड़ित किसान द्वारा इस साल 400 से अधिक बोरी धान बेचने का टोकन कटवाया गया था, लेकिन प्रतापगढ़ धान समिति के प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर की मिलीभगत से किसान 200 बोरी धान ही बेच सका और बचे धान को किसान से लेने से मना कर दिया गया.
जिसके बाद धान खरीदी प्रबंधक द्वारा कोचियों का 203 बोरी धान को पीड़ित किसान के खाते में खपा दिया गया. इस गड़बड़ी को प्रतापगढ़ धान खरीदी केंद्र के कंप्यूटर ऑपरेटर बुधसाय खलको ने खुद माना है. साथ ही प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर इसके जिम्मेदार होने की बात भी कही है.
इधर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मैनेजर तिलक राम ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि किसान के पास पासबुक है तो किसान द्वारा ही रुपये निकाले गए होंगे, और जो भी किसानों को स्टेंटमेंट की जरुरत होती है, तो उसे दिया जाता है. वहीं भीड़भाड़ होने की वजह से भी किसानों के पासबुक में इंट्री नहीं की जाती है.
किसान के खाते से धान खरीदी की राशि गायब होने की शिकायत कलेक्टर तक पहुंचने के बाद, सीतापुर पुलिस रुपए हेराफेरी करने वाले धान समिति प्रबंधक और बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है. बहरहाल, सरगुजा जिले में किसानों से सहकारी समितियों द्वारा हेराफेरी का कोई नया मामला नहीं है. इसके पूर्व भी इस तरह से किसानों के खाते से लाखों रुपये गबन करने के मामले में बैंक मैनेजर सहित धान समिति प्रबंधक पर एफआईआर दर्ज हो चुके हैं.
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