Basant Panchami: छत्तीसगढ़ के नेत्रहीन स्कूल में बसंत पंचमी पर हुआ अनोखा आयोजन, बच्चों का 24 घंटे का जाप
Basant Panchami 2023: छत्तीसगढ़ के नेत्रहीन स्कूल से पढ़कर यहां के कई छात्र सरकारी और निजी नौकरी हासिल कर चुके हैं. अब वे बाकी बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मदद कर रहे हैं.
Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: बसंत पंचमी का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया. इस दौरान जगह-जगह शिक्षा और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की गई. इसी कड़ी में मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले के मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक अंतर्गत आमखेरवा स्थित नेत्रहीन विद्यालय में भी मां सरस्वती की पूजा कर ॐ नमः शिवाय का 24 घण्टे का जाप चल रहा है.
कई छात्र कर रहे हैं सरकारी नौकरी
इसमें खास बात यह है कि यह आयोजन नेत्रहीन विद्यालय के पूर्व छात्र अपने खर्चे से करवा रहे हैं. दरअसल, इस विद्यालय के पूर्व छात्र आज सरकारी नौकरी में हैं. कोई प्रदेश से बाहर गुड़गांव में तो कोई प्रदेश के जांजगीर चंपा में तो कोई बिलासपुर में सरकारी नौकरी कर रहे हैं. वहीं, कोई छात्र किसानी कर परिवार चला रहे हैं.
कई राज्यों के बच्चे पढ़ते हैं यहां
गौरतलब है कि मनेन्द्रगढ़ में लंबे समय से नेत्रहीन विद्यालय का संचालन हो रहा है. यहां छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश के बच्चे भी शिक्षा प्राप्त करते हैं. यहां के 1 दर्जन से ज्यादा छात्र इस समय सरकारी व प्राइवेट नौकरी में हैं. वहीं, यहा पढ़ने वाले छात्र भक्ति भाव से भी जुड़ाव रखते हैं. विद्यालय में हर शनिवार को रामचरित मानस का पाठ बच्चों द्वारा किया जाता है.
छात्रों ने जताई खुशी
अमखेरवा स्थित नेत्रहीन विद्यालय के भूतपूर्व छात्र जो आज नौकरी कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि हमें बहुत खुशी होती है, जब ऐसे कार्यक्रमों में हमें बुलाया जाता है. उन्होंने कहा कि हम अपने गुरुओं, सहपाठियों का धन्यवाद करते है कि इस अवसर पर हमें बुलाया गया. ऐसा किसी विद्यालय में देखने या सुनने को नहीं मिलता है कि कोई पुराना छात्र उस जगह जाता हो और आनंदित होता हो. ये छत्तीसगढ़ का पहला स्कूल है, जो नेत्रहीनों के लिए इतना अच्छा काम कर रहा है. हमने कई कठिनाइयों का सामना किया और कठिन मेहनत की, तब जाकर नौकरी नौकरी मिली.
छात्रों की सफलता स्कूल प्रशासन में खुशी
नेत्रहीन विद्यालय के संचालक चंद्रकांत चावड़ा ने बताया कि बसंत पंचमी में हर वर्ष 24 घंटे बच्चों द्वारा जाप किया जाता है. पिछले दो तीन साल से इस विद्यालय के जो भूतपूर्व छात्र हैं. वे सरकारी और प्राइवेट जॉब में हैं. ये छात्र स्कूल में आते और स्कूल के कार्यक्रम में अपना योगदान देते हैं. हमारे विद्यालय समिति के लिए अत्यंत गौरव की बात है कि जिस उद्देश्य को लेकर हमने विद्यालय की शुरुआत की थी, उस उद्देश्य की पूर्ति हो रही है. आज इस विद्यालय से पढ़े हुए बच्चे अपने पैरों पर खड़े हुए हैं और वे आत्मनिर्भर बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि लगातार यह प्रयास है कि हमारे छात्र आगे और बड़ी सफलता हासिल करे. उन्होंने बताया कि इस वक्त हमारे विद्यालय में लगभग 70 बच्चे हैं. वे भी अच्छा पढ़ें, इसके लिए उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. पढ़कर सभी आत्मनिर्भर बन जाएं, यही समिति की इच्छा और उद्देश्य है.
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