Bastar News: अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन और शिक्षकों की सप्ताह भर से जारी हड़ताल (Teachers Strike) के कारण बस्तर संभाग में शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई है. सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा के ग्रामीण अंचलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. बीजापुर जिले में ही 130 से ज्यादा स्कूलों पर ताला लग गया है. पूरे संभाग में 250 से अधिक स्कूलों पर तालाबंदी की नौबत आ गई है. कुछ स्कूल बिना शिक्षकों के संचालित हो रहे हैं. नक्सली खौफ के कारण चार दशकों बाद इस साल शुरू हुए स्कूलों में भी ताला लग चुका है. शिक्षा के क्षेत्र में बस्तर पहले ही काफी पिछड़ा माना जाता है. शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से इस साल बच्चों पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
HRA, DA की मांग पर शिक्षकों की हड़ताल
अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन और शिक्षकों की HRA और DA की मांग पर आंदोलन किया जा रहा है. आंदोलन के लगभग सप्ताह भर बाद भी अब तक राज्य सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. अधिकारी कर्मचारियों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने का मन बना लिया है. आंदोलन नक्सल प्रभावित जिलों के स्कूलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. बस्तर संभाग के नारायणपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में पिछले 4 दशक बाद इस साल फिर से खोले गए हैं.
नक्सल प्रभावित जिलों के स्कूलों में तालाबंदी
पालकों को उम्मीद जगी थी कि अब बच्चे हर रोज स्कूल जा सकेंगे. लेकिन स्कूलों में शिक्षक नहीं होने की वजह से ताला लग चुका है. कुछ स्कूल बिना शिक्षक के ही संचालित हो रहे हैं. सीनियर बच्चे जूनियर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पिछड़े क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा का प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद एक बार फिर से कम होती नजर आ रही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बंद स्कूलों को खोलने की वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश की जा रही है. अधिकारियों का भी मानना है कि शिक्षकों की हड़ताल से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है.
सप्ताह बाद भी सरकार ने नहीं लिया फैसला
शासन के आदेशानुसार बंद स्कूलों में पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश की जा रही है. हड़ताली शिक्षक भी कहते हैं स्कूली शिक्षा प्रभावित हो रही है. लंबे समय से शिक्षक शासन से मांग कर रहे हैं. बावजूद मांग पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार मांग पूरी करती है तो तालाबंदी वाले स्कूलों में बच्चों का सिलेबस पूरा करने की कोशिश की जाएगी. शर्त है कि सरकार शिक्षकों की मांग जल्द से जल्द पूरी करे.