Bastar News: बस्तर (Bastar) कलेक्टर ने जिला कार्यालय में  रखे करीब 100 साल पुराने सरकारी रिकॉर्ड को जिला गठन के 25 सालों बाद  संभाग के अलग-अलग जिलों में स्थानांतरित कर दिया है.  इस रिकॉर्ड  में मिसल बंदी और जमाबंदी  के साथ बस्तरवासियों के जमीन संबधित रिकॉर्ड शामिल हैं. दरअसल साल अविभाजित बस्तर में 1920 से संभाग के सुकमा, (Sukma) दंतेवाड़ा ,बीजापुर (Bijapur), कांकेर (Kanker), नारायणपुर और कोंडागांव जिले के सभी सरकारी और लोगों के जमीन संबधित रिकार्ड बस्तर कलेक्टर कार्यालय में धूल खा रहे थे.


इससे  इन जिलों के रहवासियों को अपने  जमीन से सम्बंधित  रिकॉर्ड के लिए कई किलोमीटर का सफर तय कर बस्तर कलेक्टर कार्यालय आना पड़ता था. इसमें उनके काफी पैसे लगते थे. साथ आने-जाने में समय भी बर्बाद होता था. इसी को ध्यान में रखते हुए बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने सभी सरकारी रिकॉर्ड को करीब 14 ट्रकों में ट्रांसपोर्ट कर  बस्तर संभाग के सभी छह अलग-अलग जिलों में स्थानांतरित कर दिया है. बस्तर कलेक्टर ने बताया कि अभी भी कुछ जिलों के रिकॉर्ड रखे हुए हैं, जिन्हें स्थानांतरित की प्रक्रिया जारी है.


100 साल पुराने हैं सरकारी रिकॉर्ड
दरअसल, जब बस्तर जिला अपने अस्तित्व में आया तो इसका आकार कई राज्यों से भी ज्यादा बड़ा था. जिले के अत्यधिक बड़े क्षेत्रफल को देखते हुए ही इसे सात अलग अलग जिलों में बांट दिया गया. सबसे पहले 1998 में बस्तर से कांकेर जिला अलग हुआ, लेकिन इस जिले के अलग होने के बाद भी इसके रिकॉर्ड 25 सालों तक बस्तर जिले में ही रखे हुए थे. इनमें से कुछ रिकॉर्ड 100 साल से भी अधिक पुराने हैं. इसी तरह बस्तर से अलग हुए दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव जिले के रिकॉर्ड भी जिले के कलेक्टर कार्यालय में धूल खा रहे थे.


रिकॉर्डों को मूल जिलों में भेजा
बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने इन रिकॉर्डों को निकालकर उनके मूल जिलों में भेजा है. इन रिकॉर्ड्स के ट्रांसपोर्ट के लिए 14 ट्रकों की जरूरत पड़ी. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि बस्तर संभाग में जिलों का विभाजन नहीं होने की वजह से इन क्षेत्र के रहवासियों को अपने जमीन संबधित रिकॉर्ड के लिए सैकड़ों किलोमीटर सफर तय कर बस्तर जिला कलेक्टर कार्यालय आना पड़ता था. करीब 25 साल पहले बस्तर संभाग में अलग-अलग जिलों का विभाजन होने के बावजूद भी यहां कलेक्टर कार्यालय में रखे सरकारी रिकॉर्ड और लोगों की जमीन संबधित रिकार्ड पर किसी का ध्यान नहीं गया.


कलेक्टर विजय दयाराम ने क्या बताया
उन्होंने बताया कि हर रोज सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर और दंतेवाड़ा जिले से लोगों को अपने जमीन संबधित रिकॉर्ड पाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर बस्तर कलेक्ट्रेट आना पड़ता था. इसमें ग्रामीणों का पैसा और समय दोनों बर्बाद हो रहा था. इसे ही ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड रूम से संभाग के अलग-अलग जिलों के पूरे सरकारी रिकॉर्ड अलग किए गए. इसके लिए काफी समय भी लगा. सभी छह जिलों के रिकॉर्ड अलग करने के बाद लगभग 14 से भी अधिक ट्रकों में इन्हें ट्रासंपोर्ट कर मूल जिलो में स्थानांतरित किया गया. कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि सबसे ज्यादा रिकॉर्ड कांकेर जिले के हैं.


कुछ रिकॉर्ड्स को भेजने की प्रक्रिया अभी जारी
कलेक्टर ने बताया कि इसके अलावा बस्तर जिला कलेक्टर कार्यालय में सुकमा, कोंडागांव और दंतेवाड़ा के भी रिकॉर्ड बड़ी संख्या में रखे हुए थे. फिलहाल इन सभी को स्थानांतरित कर दिया गया है. कुछ रिकॉर्ड्स को भेजने की प्रक्रिया अभी जारी है. कलेक्टर ने कहा कि अब ग्रामीणों को अपने जमीन से सम्बंधित रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए मशक्कत नहीं करने पड़ेगी, बल्कि उनके ही जिला कलेक्टर कार्यालय में उन्हें सारे रिकॉर्ड उपलब्ध हो जाएंगे. बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार अनिल सामंत ने भी कलेक्टर विजय दयाराम की इस पहल को काफी सराहनीय बताया है.


उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर कार्यालय  में हर रोज 200 से 300 की संख्या में ग्रामीण अपने जमीन से संबंधित रिकॉर्ड पाने के लिए संभाग के अलग-अलग दूरस्थ जिलों से सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर बस्तर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचते है, लेकिन अब उनके जमीन के रिकॉर्ड संबंधित जिला कार्यालयों में स्थानांतरित किए जाने से ग्रामीणों का काम आसान हो जाएगा.


Chhattisgarh Election 2023: कांग्रेस छत्तीसगढ़ में जीती, तो कौन होगा CM रेस में सबसे आगे? टीएस सिंहदेव ने दिए ये संकेत