Monkeypox: बस्तर में तैनात CISF के चार जवानों की मंकीपॉक्स की रिपोर्ट निगेटिव, चिकनपॉस्क की हुई पुष्टि
बस्तर में सीआईएसएफ जवानों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. मंकीपॉक्स के संदिग्ध जवानों का ब्लड सैंपल लेकर पुणे भेजा गया था. जांच में पता चला कि सभी संदिग्धों को मंकीपॉक्स नहीं बल्कि चिकनपॉक्स का वायरस है.
बस्तर (Bastar) वासियों के लिए राहत भरी खबर है. मंकीपॉक्स (Monkeypox) के संदिग्ध जवानों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. रिपोर्ट के मुताबिक सभी संदिग्धों को मंकीपॉक्स नहीं बल्कि चिकनपॉक्स का वायरस (Chickenpox Virus) है. कुछ दिन पहले दंतेवाड़ा के किरंदुल स्थित सीआईएसएफ (CISF) कैंप में 4 जवानों को पूरे शरीर पर दाने निकलने से मंकीपॉक्स की आशंका जताई गई थी. लिहाजा मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज मानते हुए चारों जवानों को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज (Jagdalpur Medical College) में भर्ती कराया गया. मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण दिखाई देने से हड़कंप मच गया था.
जवानों का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) भेजा गया. सीआईएसएफ के चारों जवानों की रिपोर्ट निगेटिव आने से किरंदुल कैंप समेत बस्तर वासियों ने चैन की सांस ली. जगदलपुर मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल के अधीक्षक टीकू सिन्हा ने पुष्टि करते हुए कहा कि किरंदुल कैंप के सीआईएसएफ जवानों में पहली बार मंकीपॉक्स का लक्षण देखा गया था. एक जवान हाल ही में दिल्ली से लौटा था इसलिए मंकीपॉक्स का खतरा था. ऐसे में एहतियात के तौर पर चारों जवानों को मेकाज में दो दिन के अंदर पहुंचाया गया.
बस्तर में एक भी मंकीपॉक्स का केस नहीं
जवानों के ब्लड सैंपल लिए गए और जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया. इस बीच जवानों की देखरेख के लिए स्किन स्पेशलिस्ट की ड्यूटी भी वार्ड में लगाई गई ताकि संदिग्धों को बेहतर इलाज मिल सके. हालांकि पुणे से आई रिपोर्ट में मंकीपॉक्स होने की पुष्टि नहीं हुई. दूसरी तरफ सभी चार मरीजों की स्थिति भी काफी हद तक ठीक हो गई है और डिस्चार्ज करने की तैयारी चल रही है. बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि जवानों में मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आने से प्रशासनिक अमला में भी हड़कंप मच गया था. लेकिन अब जिले में एक भी मंकीपॉक्स का केस नहीं होना सुखद खबर है.