Chhattisgarh Latest News: बस्तर में सोमवार को ऐतिहासिक गोंचा महापर्व धूमधाम से मनाया गया. गोंचा 615 सालों से मनाए जाने वाले सबसे लंबे त्योहारों में से एक है. बाहुड़ा रस्म निभाकर भगवान जगन्ननाथ की रथ यात्रा निकाली गई. भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र मौसी के घर जनकपुरी से जगन्नाथ मंदिर रवाना हुए. गोंचा पर्व समिति के लोगों ने तीन विशालकाय रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को जगन्नाथ मंदिर तक लाया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
भारी बारिश भी भगवान के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था कम नहीं कर सकी. धूमधाम से ऐतिहासिक गोंचा पर्व की रस्म अदायगी की गई. बस्तरवासियों ने आदिवासी ग्रामीणों के बनाए बांस की नली तुपकी से भगवान जगन्नाथ के रथ को सलामी दी. गोंचा पर्व समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि 22 जून से गोंचा पर्व की शुरुआत हुई थी.
धूमधाम से मनाया गया गोंचा महापर्व
17 जुलाई को देव उठनी रस्म निभायी जायेगी. करीब 27 दिनों तक पर्व के रस्मों को धूमधाम से मनाया गया. रथ यात्रा के आखिरी दिन सोमवार को सीरासार भवन में बने जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को विशालकाय तीन रथों में रथारुढ़ कर जगन्नाथ मंदिर लाया गया.
आखिरी दिन होगी देव उठनी रस्म
रथ परिक्रमा को देखने दूर दराज से बस्तर घूमने आए थे. रथ यात्रा समापन के आखिरी दिन तीनों ही भगवान की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान श्रद्धालुओं ने बांस की नली से बनी तुपकी चलाकर भगवान जगन्नाथ के रथ को सलामी दी गयी. पर्व के आखिरी दिन 17 जुलाई को देवउठनी का रस्म अदा किया जाएगा. देव उठनी की रस्म के साथ गोंचा महापर्व की समाप्ति होगी.
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