Bastar News: कांग्रेस MLA लखेश्वर बघेल को बंगला खाली करने का नोटिस, एक दिन की दी गई मोहलत
Chhattisgarh Politics: बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष रहते हुए लखेश्वर बघेल को बंगला आवंटित किया गया था जो कि उनसे खाली करवाया जा रहा है. लखेश्वर बघेल कांग्रेस के विधायक भी हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को मिलने वाले सरकारी बंगले के आधिपत्य को लेकर नेताओं के बीच जोर-आजमाइश शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक लखेश्वर बघेल (Lakheshwar Baghel) को भी प्रशासन ने सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया है. दरअसल विधायक लखेश्वर बघेल बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे और उन्हें जगदलपुर शहर में एसबीआई के मेन ब्रांच के बगल में मौजूद सरकारी बंगला अलॉट किया गया था.
अब इस बंगले को खाली करने के लिए प्रशासन ने केवल विधायक लखेश्वर बघेल को एक दिन का ही समय दिया है. ऐसे में विधायक का शासन के प्रति इस रवैये को लेकर गुस्सा फूट पड़ा है. विधायक लखेश्वर बघेल ने कह दिया है कि वे विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने रायपुर पहुंच चुके हैं और बंगला खाली करने के लिए प्रशासन को उनका सामान सड़क पर फेंकना पड़ेगा. दरअसल शासन के एक दिन में बंगला खाली करने के इस नोटिस से लखेश्वर बघेल काफी नाराज हैं.
नोटिस पर विधायक की प्रतिक्रिया
तीसरी बार चुनाव जीतकर बस्तर विधायक बने लखेश्वर बघेल ने बंगला खाली करने के नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह का नोटिस हिटलर शाही को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि विष्णुदेव सरकार ने उन्हें नोटिस देते हुए एक दिन में बंगला खाली करने को कहा है और जब भी कोई अधिकारी कर्मचारी रिटायर होता है तब सरकार कम से कम 6 महीने का समय बंगला खाली करने के लिए देती है लेकिन सरकार के दबाव पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बंगला खाली करने के लिए केवल एक दिन का ही समय दिया है जो कि संभव नहीं है.
लखेश्वर बघेल ने लगाया यह आरोप
लखेश्वर बघेल ने यह भी आरोप लगाया है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जब मंत्री केदार कश्यप चुनाव हार गए थे तब कांग्रेस की सरकार ने उन्हें बंगला खाली करने के लिए ज्यादा समय दिया था. केदार कश्यप ने अपनी मर्जी से कांग्रेस की सरकार बनने के करीब एक साल बाद इस बंगला को खाली किया था, लेकिन अब बीजेपी की सरकार बनने के बाद बंगला खाली करने को लेकर इस तरह का फरमान तानाशाही रवैया को दर्शाता है. लखेश्वर बघेल ने साफ कहा है कि वह इतनी जल्दी बंगला खाली नहीं कर पाएंगे.
2013 में केदार कश्यप को अलॉट हुआ था बंगला
हालांकि जिला प्रशासन के इस नोटिस को लेकर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जवाब नहीं दे रहा है. ,वहीं वन मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि यह शासन की एक प्रक्रिया है और इस पर कुछ कहना उचित नहीं होगा, गौरतलब है कि साल 2013 में बीजेपी शासन काल के दौरान अनुसूचित जनजाति विभाग के मंत्री रहे केदार कश्यप को इस बंगले को अलॉट किया गया था.
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