Chhattisgarh News: मध्य प्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ राज्य को 22 साल बीत चुके हैं लेकिन बस्तर के कई इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत नहीं बदली है. नौनिहाल जर्जर भवनों में बैठने को मजबूर हैं. कई इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्र का खुद का भवन नहीं है. किराए के कमरे या झोपड़ियों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं. हर साल नए आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत होती है. अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से आंगनबाड़ी केंद्र कागजों में बन जाते हैं.


बस्तर संभाग के 7 जिलों में सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्र किराए पर संचालित होते हैं. जगदलपुर शहर में सरकारी जमीन नहीं होने के कारण 50 आंगनबाड़ी केंद्र किराए की इमारत से चल रहे हैं. नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनाने के लिए 14 वर्षों से जमीन की तलाश जारी है. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द भवन का निर्माण किया जाएगा.




आंगनबाड़ी केंद्रों के पास नहीं है खुद का भवन


महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने निगम प्रशासन पर ठीकरा फोड़ा है. शहर के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. ऐसे में नगर निगम को जमीन तलाश कर आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनाना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रों में भी किराए के कमरे से संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिला बाल विकास विभाग से सवाल पूछा गया. अधिकारियों ने ग्रामीण अंचलों में सरकारी जमीन के अभाव का रोना रोया, इस वजह से कई जगहों पर किराए के कमरों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं.




कुपोषण मुक्त बस्तर का काम कागजों में सिमटा


पंचायत से बातचीत में मिली जमीन पर नए भवनों के लिए राशि स्वीकृति की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ समय में आंगनबाड़ी केंद्र की जरूरतवाले गांवों में नए भवन बना लिए जाएंगे. साथ ही जर्जर हो चुके भवनों को नष्ट कर दोबारा नए भवन बनाने की स्वीकृति दी जाएगी. बस्तर संभाग में कुपोषण का प्रतिशत बढ़ गया है. आंगनबाड़ी केंद्रों के अभाव या महीनों बंद रहने से बच्चों को सुपोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. कुपोषण मुक्त बस्तर का काम केवल कागजों में चल रहा है.




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