(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bastar Anganwadi News: हर साल लाखों का बजट, फिर भी किराए के जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर नॉनिहाल, जानें क्या कहते हैं अधिकारी?
बस्तर जिले में महिला बाल विकास विभाग को हर साल लाखों रुपये का बजट दिये जाने के बावजूद कई आंगनबाड़ी केंद्र खस्ता हाल में हैं. यहां जानें क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी?
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में महिला बाल विकास विभाग को हर साल लाखों रुपए बजट देने के बावजूद जिले के लगभग 200 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं और इन भवनों में अधिकांश पुराने और जर्जर भवन हैं जहां नॉनिहाल बच्चों के लिए इस केंद्र का संचालन किया जा रहा है.
आखिर इतने बजट के बावजूद सरकार और महिला बाल विकास विभाग नये आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए रुचि नहीं दिखा रही है, साथ ही इस सवाल पर विभाग के सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधि ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है, हालांकि हर बार की तरह नए भवनों के निर्माण के लिए राशि खर्च करने की बात तो कही जाती है लेकिन यह नये आंगनबाड़ी केंद्र जमीनी स्तर पर तो दिखाई नहीं दे रहे हैं.
जानें कितने केंद्र किराए के भवनों में हो रहे संचालित?
दरअसल बस्तर जिले में नौनिहालों के शुरुआती शिक्षा के लिए सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जाते हैं, लेकिन जिले में इन आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल बेहाल है, कहने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के पास माताओं और बच्चों के लिए लाखों रुपए का बजट हर साल आता है.
जिले में 200 से आंगनबाड़ी भवन किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं और इन केंद्रों में लगभग 92 हजार से अधिक बच्चे पहुंचते हैं, खास बात यह है कि नये भवनों में कई कच्चे और आधे अधूरे बने हैं, कोरोना काल के दौरान जब बच्चे केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे थे उस दौरान भी विभाग अपने भवनों का काम पूरा नहीं कर सका, ऐसे भवनों की संख्या एक से अधिक है जहां कई तरह की सुविधाएं मौजूद ही नहीं है, वहीं वर्तमान में जिले में कुल 1981 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं जिनमें 1861 बड़े आंगनबाड़ी जबकि 120 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
अधूरे पड़े हैं कई भवन
बच्चों के पालकों का कहना है कि शहरी क्षेत्र के अलावा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई आंगनबाड़ी भवन आज भी सुविधा विहीन हैं, कई जगह भवन ही आधे अधूरे हैं तो कई जगह जो जरूरत के सामान होनी चाहिए वह नहीं है, कहीं कहीं केंद्रों में जगह के अभाव में बच्चे खेलने से वंचित रह जाते हैं, जानकारी के मुताबिक कई जगह निर्माण एजेंसियां भी भवन निर्माण के दौरान कामों को समय पर पूरा नहीं कर पाती, जिसके चलते बच्चों को आधे अधूरे भवनों में ही खुश करना पड़ता है, कुल मिलाकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभाग की नाकामी साफ नजर आती है.
जानें क्या कहते हैं विभाग के अधिकारी?
इस मामले को लेकर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ए. के विश्वास का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार नए भवनों के लिए विभाग ने जिले में कुछ जगहों को चिन्हाकित कर रखा है, और कई जगह निर्माण कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं, कोविड की वजह से ग्रामीण अंचलों में आंगनबाड़ी केंद्र अधूरे पड़े हैं, साथ ही पुराने शासकीय आंगनबाड़ी केंद्र को भी मरम्मत करने का काम किया जा रहा है.
अधिकारी का कहना है कि विभाग के पास पर्याप्त बजट है, लेकिन कोविड के चलते नए भवनों का निर्माण नहीं हो सका है, लेकिन विभाग द्वारा अब तेजी से इन भवनों के निर्माण कार्य को पूरा करने का निर्देश ठेकेदारों को दिया है और जल्द ही किराए के भवनों को छोड़कर नये भवनों में शिफ्ट होने की कवायद शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी जगह की समस्या बनी हुई है, इस वजह से किराए के भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा है.
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