Bastar: चुनाव से पहले जानें बस्तर का हर समीकरण, क्या हैं जातिय गणित, चर्चा में कौन से मुद्दे?
Chhattisgarh News: बस्तर विधानसभा कांग्रेसियों का गढ़ रहा है. इस विधानसभा में कांग्रेस के बड़े कद्दावर नेताओं ने चुनाव जीता है, लेकिन 2003 में तख्ता पलटने के साथ BJP ने कांग्रेस को चुनाव हराया.
Chhattisgarh Assembly Election: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मौजूद बस्तर विधानसभा राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है. बीजेपी और कांग्रेस के सभी बड़े नेता बस्तर के ही निवासी है, इस विधानसभा में सबसे ज्यादा आदिवासियों की संख्या होने की वजह से इस विधानसभा में आदिवासी नेताओं को प्राथमिकता दिया जाता है. इस विधानसभा के अंतर्गत दो विकासखंड बकावंड और बस्तर हैं. इसके अलावा करपावंड को तहसील बनाने की घोषणा की गई है.
इस विधानसभा में आदिवासियों के मुख्य आय का स्त्रोत वनोपज है और इसके अलावा खेती किसानी हैं. उद्योग के नाम पर इस विधानसभा अब तक कोई उद्योग नहीं लगाया गया है, वही बस्तर विधानसभा में ही एक नगर पंचायत है. हालांकि लंबे समय से इसे पंचायत बनाने की मांग ग्रामीणों के द्वारा की जा रही है. वही विकास के नाम पर सड़क पुल पुलिया का निर्माण किया गया है, लेकिन फ्लोराइड युक्त पानी इस विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या है.
विधानसभा की ये है खासियत
बीजेपी और कांग्रेस की प्रदेश में सरकार बनने के बावजूद भी इस समस्या से ग्रामीणों को निजात आज तक नहीं मिल पाया है. इस विधानसभा की खासियत यह है कि ये ओड़िसा राज्य से लगा हुआ है. सबसे ज्यादा शिक्षित लोग निवासरत है. इसके अलावा इंद्रावती नदी से यह विधासभा क्षेत्र लगा हुआ है. जिस वजह से कुड़कनार,कुदाल गांव और चकवा के किसान इस नदी पर आश्रित है, सिंचाई में यहां के किसानों को काफी ज्यादा फायदा मिलता है.
राजनीतिक समीकरण
राजनीति समीकरण की बात की जाए तो बस्तर विधानसभा को हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव में और 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी को ही यहां से जीत मिली, हालांकि 2013 और 2018 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने इस सीट पर बाजी मारी और वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता कहे जाने वाले लखेश्वर बघेल विधायक है.
बस्तर विधानसभा के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवास रथ ने बताया कि बस्तर विधानसभा कांग्रेसियों का गढ़ रहा है. इस विधानसभा में कांग्रेस के बड़े कद्दावर नेताओं ने चुनाव जीता है, लेकिन 2003 में तख्ता पलटने के साथ बीजेपी के प्रत्याशी रहे बलिराम कश्यप ने कांग्रेस के कद्दावर नेता अंतूराम कश्यप को भारी मतों से चुनाव हराया. इन 5 सालों में बस्तर विधानसभा बीजेपी का गढ़ बन गया. वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से डॉ. सुभाउराम कश्यप को टिकट दिया गया. कांग्रेस से लखेश्वर बघेल को चुनाव मैदान में उतारा गया. इस चुनाव में भी बीजेपी के प्रत्याशी सुभाउराम कश्यप को जीत मिली. लखेश्वर बघेल को हार का सामना करना पड़ा.
2013 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी ने सुभाउराम कश्यप को ही टिकट दिया. वहीं कांग्रेस ने भी लखेश्वर बघेल को ही चुनावी मैदान में खड़ा किया, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में लखेश्वर बघेल ने सुभाउराम कश्यप को भारी मतों के अंतर से हराया. एक बार फिर बस्तर विधानसभा कांग्रेस का गढ़ बन गया. 2018 में भी फिर से बीजेपी ने सुभाउराम को और कांग्रेस ने लखेश्वर बघेल को ही टिकट दिया. 2018 के चुनाव में भी लखेश्वर बघेल ने दोबारा इस सीट से जीत हासिल की.
श्रीनिवास रथ ने बताया कि वर्तमान में भी कांग्रेस की पकड़ ज्यादा मजबूत है. हालांकि साल 2023 के चुनाव में कांटे की टक्कर का अनुमान लगाया जा रहा है, क्योंकि अब तक हुए 4 विधानसभा चुनाव में दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने बाजी मारी है, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट में कांटे की टक्कर हो सकती है....
विधानसभा से जुड़े आंकड़े
- कुल मतदाता- 1 लाख 53 हजार 786 मतदाता हैं
- कुल मतदान केंद्र - 212
- महिला मतदाता - 81 हजार 605
- पुरूष मतदाता - 77 हजार781
- थर्ड जेंडर- 3
जाति का समीकरण
भतरा जाति - 70% है
मुरिया जाती - 20 % है
माहारा जाति के साथ सामान्य 10% है...
स्थानीय मुद्दे
- इस विधानसभा क्षेत्र के कुछ इलाके में जैसे भोंड पंचायत के ऊपरी हिस्से में पानी और बिजली की सबसे ज्यादा समस्या बनी हुई है, यह इलाका ड्राई जॉन में आता है इस वजह से यहां पानी की समस्या हमेशा से बनी हुई है.
- इसके अलावा बस्तर विधानसभा के अधिकांश पंचायतों के ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से जूझ रहे हैं ,लाल पानी पीने की वजह से ग्रामीणों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हैं, वाटर फिल्टर प्लांट लगाया गया है लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में यहां के ग्रामीण लाल पानी पीने को मजबूर है, साथ ही गर्मी के मौसम में झरिया के पानी पर निर्भर रहते हैं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर महिला और बुजुर्ग की भी इस पानी को पीकर तबीयत खराब हो रही है ,इस वजह से हमेशा से ही ग्रामवासी सरकारों से फ्लोराइड युक्त पानी से निजात दिलाने की मांग करते आए हैं और यह अहम स्थानीय मुद्दों में से एक है.
- इसके अलावा लंबे समय से यहां के ग्रामीण उद्योग की मांग कर रहे हैं ताकि शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिल सके, यहाँ रहने वाले अधिकांश ग्रामीण वनोपज पर आश्रित है, अब तक यहां कोई उद्योग स्थापित नहीं किया गया है, ऐसे में लंबे समय से बस्तर विधानसभा की जनता उद्योग लगाने की मांग कर रही हैं ताकि यहां के लोगों को रोजगार मिल सके.
- बस्तर विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या और मुद्दा नगर पंचायत का है ,इस नगर पंचायत के अंतर्गत 15 वार्ड हैं, लेकिन यहां के निवासी नगर पंचायत को हटाने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए यहां के सैकड़ों ग्रामीणों ने राजधानी रायपुर तक पदयात्रा कर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन भी दे चुके है, हालांकि नगर पंचायत को हटाने की घोषणा तो जरूर हुई है, लेकिन अब तक इसमें काम शुरू नहीं हो सका है, ऐसे में इसे लेकर यहाँ के लोगो मे निराजगी बनी हुई है...
- इसके अलावा इस विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी , सड़क और सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पाया है और यह भी एक अहम मुद्दा है.
विधानसभा का इतिहास
बस्तर विधानसभा के जानकार हेमंत कश्यप ने बताया कि 2003 के चुनाव तक बस्तर विधानसभा भानपुरी विधानसभा के अंतर्गत आता था और काफी बड़ा विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था. ऐसे में 2007 में भानपुरी विधानसभा को बस्तर विधानसभा किया गया और भानपुरी को नारायणपुर विधानसभा में जोड़ा गया. बस्तर विधानसभा बनने के बाद क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों की तस्वीर बदली. हालांकि आदिवासियों की जनसंख्या ज्यादा होने की वजह से यह सीट हमेशा से ही आदिवासियो के लिए आरक्षित है.
विधानसभा चुनाव में बस्तर विधानसभा में सभी की निगाहें टिकी रहती है ,क्योंकि यहां बीजेपी कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों से लड़ने वाले प्रत्याशी स्थानीय होने के साथ-साथ काफी कद्दावर नेता भी माने जाते हैं, इस वजह से दोनों ही पार्टी के हाईकमान 2008 के चुनाव से 2018 के चुनाव तक एक ही चेहरे पर विश्वास करते हुए बार-बार उन्हें ही टिकट देते आ रहे हैं, हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में क्या चेहरे बदल सकते हैं इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
राजनीतिक इतिहास
बस्तर विधानसभा में 1 लाख 53 हजार 786 मतदाता है, यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण इलाके में बसा हुआ है, हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. पिछले 2 चुनाव में इस सीट में कांग्रेस का कब्जा रहा है. इस विधानसभा में जातिगत समीकरण का प्रभाव नही है, 2018 के चुनाव में विधायक की दावेदारी करने वाले कुल 6 प्रत्याशी मैदान में थे. बीजेपी से डॉ. सुभाउराम कश्यप जिन्हें 40 हजार 907 वोट प्राप्त हुए थे.
वहीं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से सोनसाय कश्यप को 3 हजार 688 वोट मिले थे, इसके अलावा आप पार्टी के प्रत्याशी जगमोहन बघेल को 2 हजार 21 वोट पड़े थे, साथ ही दुलब सूर्यवंशी जो निर्दलीय प्रत्याशी थे उन्हें भी 2 हजार 34 वोट मिले, इन सभी दावेदारों को पछाड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी लखेश्वर बघेल ने 74 हजार 378 वोट पाकर अपनी जीत का डंका बजाया, बीजेपी के डॉ. सुभाउ कश्यप से 33 हजार 471 वोट से लीड करते हुए लखेश्वर बघेल विधायक चुने गए थे, जानकार हेमंत कश्यप ने कहा कि वर्तमान में भी विधायक लखेश्वर बघेल की बस्तर विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जा रही है.
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