Bastar News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का स्वास्थ्य बजट बनाती है. सरकार सरकारी अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों और सिविल अस्पतालों में इलाज के लिए बेहतर संसाधन और सुविधा मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन बस्तर (Bastar) में ये विकास के दावे खाली कागजों में ही सीमित रह जाते हैं. यहां के डॉक्टरों को संसाधन की कमी से जूझना  पड़ता है. साथ ही  ग्रामीणों को भी इलाज के नाम पर केवल औपचारिकता ही मिल पाती है.


 बस्तर संभाग में ऐसे कई अस्पताल हैं जहां स्टाफ तो हैं, लेकिन इलाज के लिए अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी उपकरण और संसाधन नहीं है. कहीं उपकरण और संसाधन हैं, तो वहां डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है. नक्सल क्षेत्र को अगर छोड़ दिया जाए तो बस्तर जिले में सबसे बुरा हाल भानपुरी में सिविल अस्पताल और बस्तर ब्लॉक के स्वास्थ्य केंद्रों का है. यहां बिजली के अभाव में रात में डॉक्टरों को टॉर्च जलाकर ईलाज और इमरजेंसी ऑपरेशन करना पड़ता है.


टॉर्च की रोशनी में करना पड़ता है ग्रामीणों का इलाज


दरअसल, बस्तर के भानपुरी में सिविल अस्पताल और यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों  में अव्यवस्थाओं का आलम है. सिविल अस्पताल में  बिजली की समस्या काफी लंबे समय से बनी हुई है. यहां बिजली गुल होती है, तो रात के अंधेरे में डॉक्टरों को टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है. सिविल अस्पताल और जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में जनरेटर की व्यवस्था भी नहीं की गई है. यहां के स्टाफ आए दिन बिजली गुल की समस्या से जूझ रहे हैं. रात के वक्त अधिकांश समय बिजली नहीं होती है. इतना ही नहीं अगर मौसम में खराब हो जाए तो कई महीनों तक अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र अंधेरे में डूबे रहते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कई बार इमरजेंसी ऑपरेशन भी टॉर्च के लाइट में किए गए हैं. शासन को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत कराने के बावजूद कोई समाधान नहीं हो रहा है. सिविल अस्पताल में जनरेटर की सुविधा नहीं है. वहीं क्रेडा विभाग के द्वारा लगाई गई सोलर लाइट भी पिछले कई महीनों से खराब पड़ी है. यही हाल बस्तर के स्वास्थ्य केंद्र का भी है.


वहीं  ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर पी. शांडिल्य ने बताया कि दोनों ही जगहों पर लंबे समय से बिजली की समस्या बनी हुई है. इस वजह से रात के वक्त सबसे ज्यादा डॉक्टरों और मरीजों को  दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि  कई बार शासन को पत्र लिखा है और जनरेटर की और सोलर लाइट सुधारने की मांग की. बावजूद इसके उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इसके चलते रात के वक्त बिजली गुल होने से टॉर्च की रोशनी में मरीजों का ईलाज करना पड़ रहा है. यहां तक की इमरजेंसी ऑपरेशन भी टॉर्च की रोशनी में करने पड़ रहे हैं. 


कई सालों से बनी हुई है ये समस्या


हालांकि इस मामले में अब बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार  का कहना है कि जल्द  ही व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी, लेकिन यह हाल बस्तर जिले के एक अस्पताल या स्वास्थ केंद्र का नहीं है. बल्कि जिले के साथ संभाग के अन्य अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी बिजली की समस्या  बनी हुई है.  जिसका समाधान पिछले कई सालों से नहीं हो पाया है.


Chhattisgarh News: नेट बैंकिंग के जरिए दोस्त ने ही किया कंगाल, खाते से निकाले लाखों; आरोपी गिरफ्तार