Bastar News: इस सरकारी स्कूल के बच्चों ने पेश की मिसाल, फूड बैंक खोल अपने साथियों की मिटा रहे भूख
Bastar: इस फूड बैंक में काफी कम दाम में भूखे पेट स्कूल पहुंचने वाले छात्रों को खाना दिया जा रहा है, जिसमें दाल, चावल, रोटी और पोहा के अलावा अन्य खाने-पीने के सामान भी हैं.
Chhattisgarh News: एक तरफ जहां अपनी मांगो को लेकर छत्तीसगढ़ रसोईया संघ के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं जिससे सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है, लेकिन वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के करीतगांव में मौजूद एक सरकारी स्कूल बच्चों की भूख मिटाने के लिए मिसाल बना हुआ है. यहां खुद स्कूली बच्चों ने मिलकर फूड बैंक खोला है, जहां काफी कम दाम में भूखे पेट स्कूल पहुंचने वाले छात्रों को खाना दिया जा रहा है, जिसमें दाल, चावल ,रोटी और पोहा के अलावा अन्य खाने-पीने के सामान भी रहते हैं. बकायदा इस स्कूल के कुछ छात्र चंदा इकट्ठा कर अपने घरों से इन्हें बनाकर टिफिन में लाते हैं और भूखे बच्चों की भूख मिटाते हैं. पूरे बस्तर जिले का यह पहला स्कूल है जहां बच्चे ही फूड बैंक खोलकर अपने साथियों की भूख मिटा रहे हैं.
चंदा इकट्ठा कर खोला फूड बैंक
जगदलपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित करितगांव हाई सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले स्कूली छात्रों ने टिफिन नहीं लाने वाले अपने साथियों की भूख मिटाने के लिए चंदा इकट्ठा कर स्कूल में फूड बैंक खोला है. यहां बच्चे काफी दूर-दूर से स्कूल आते हैं और जल्दबाजी में अपने घर से कुछ खाकर नहीं आते या टिफिन नहीं ला पाते उन बच्चों के लिए फूड बैंक अन्नदाता साबित हो रहा है. इस फूड बैंक में इस बात की सुविधा दी गई है कि जिस बच्चे के पास पैसे नहीं है, उसे उधारी भी फूड दिया जाता है.
स्कूल में बच्चों द्वारा फूड बैंक खोले जाने के सराहनीय पहल पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की यह नई सोच है जो बिल्कुल अनूठी है और काफी कारगर भी साबित हो रही है. बच्चे घर में जल्दबाजी में खाना नहीं खा पाने या किसी कारणवश घर में कुछ नहीं बन पाने से स्कूल आ रहे हैं और फूड बैंक का लुफ्त उठा रहे हैं. अब किसी भी छात्र और छात्रा को भूखे पेट पढ़ाई करनी नहीं पड़ रही हैं.
क्या कहा स्कूल के प्रिंसिपल ने
इस स्कूल के प्रिंसिपल लूप्तेश्वर आचार्य का कहना है कि, करीतगांव में एक ही हाई स्कूल है, जहां करीब 10 से 15 किलोमीटर दूर दूर से स्कूली बच्चे आते हैं. इन बच्चों में ऐसे भी बच्चे हैं जो काफी निर्धन हैं और कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो घर से बिना कुछ खाए जल्दीबाजी में स्कूल पहुंचते हैं. ऐसे में स्कूल के ही कुछ बच्चों की सोच है कि अपने साथी दिन भर भूखे पेट ना रहें. ऐसे में स्कूल के ही कुछ बच्चों ने ही फूड बैंक खोला और इस फूड बैंक के माध्यम से भूखे पेट पहुंच रहे हैं. बच्चों को न सिर्फ भरपेट भोजन मिल रहा है, बल्कि अब बच्चों की स्कूल पहुंचने की संख्या भी बढ़ी है. फिलहाल बच्चों के फूड बैंक में स्कूल प्रबंधन का कोई सहयोग नहीं है. खुद बच्चे चंदा इकट्ठा कर हर दिन अलग-अलग खाने के सामान तैयार करवाते हैं और भूखे पेट स्कूल पहुंचने वाले अपने साथियों को काफी कम दाम पर खाना मुहैया कराते हैं.
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