Chhattisgarh के इस जिले में मौजूद है गुफाओं का नगर, भगवान राम ने यहां बिताया था समय, जानिए-खासियत
Bastar News: सभी गुफाओं की अपनी अपनी खासियत है और सभी की अलग-अलग बनावट है. इन गुफाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटकों के बस्तर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं. खूबसूरत वादियों और वॉटरफॉल्स की वजह से बस्तर विश्वभर में प्रसिद्ध है. देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट वाटरफॉल, तीरथगढ़ वॉटरफॉल और 6 से ज्यादा ऐसे वाटरफॉल हैं जो बस्तर की पहचान के साथ-साथ प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में भी शुमार हैं. इन वॉटरफॉल्स के साथ बस्तर में गुफाओं का नगर भी है जहां 10 से ज्यादा गुफाएं हैं. यह सभी गुफा एक ही ब्लॉक में मौजूद हैं इसलिए इस जगह को गुफाओं का नगर कहा जाता है. हालांकि 2 साल पहले यहां केवल 7 गुफाएं ही प्रसिद्ध थीं लेकिन पिछले 2 सालों में इस इलाके के ग्रामीणों ने 3 नयी गुफाओं की खोज की है. अब इनकी संख्या 10 हो गई है. इन गुफाओं में से 6 गुफाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल ठंड के मौसम और नए साल के मौके पर यहां पहुंचते हैं.
गुफाओं की अपनी खासियत
छत्तीसगढ़ में गुफाओं का नगर कहा जाने वाला बस्तर जिले का दरभा ब्लॉक जगदलपुर शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस दरभा ब्लॉक में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क में 4 गुफा विश्व प्रसिद्ध हैं. खासकर कुटुमसर गुफा को पाताल लोक कहा जाता है और इसकी तुलना अमेरिका में मौजूद "कार्ल्सवार ऑफ केव" से की जाती है. दरभा ब्लॉक में मौजूद 10 गुफाओं में कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही कैलाश गुफा, कोटमसर गुफा, दंडक गुफा और अरण्यक गुफा के अलावा शीत गुफा मौजूद है. इसके अलावा मांदर गुफा, देवगिरी गुफा, हरि गुफा, झूमर गुफा और डूमर करपन गुफा और अन्य गुफाएं दरभा ब्लॉक के अलग-अलग क्षेत्रों में मौजूद हैं. सभी गुफाओं की अपनी अपनी खासियत है और सभी की अलग-अलग बनावट है.
बड़ी संख्या में पहुंच रहे पर्यटक
प्राकृतिक रूप से मौजूद इन गुफाओं को सतयुग से भी जोड़ा जाता है. बस्तर के जानकारों का कहना है कि, अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता दंडकारण्य से होकर ही तेलंगाना के भद्राचलम पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने हरी गुफा में समय बिताया था. तब से इस क्षेत्र को गुफाओं का नगर कहा जाने लगा. हालांकि 10 गुफाओं में से केवल 6 गुफाओं को आम पर्यटकों के लिए साल में सिर्फ 6 महीने तक ही खोला जाता है. बारिश के महीने में इन गुफाओं में पर्यटकों का जाना मना होता है. वहीं ठंड के मौसम के साथ ही इन गुफाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटकों के बस्तर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है.
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