Bastar News: छत्तीसगढ़ के इस वाटरफॉल की खूबसूरती में लगे चार चांद, क्यों खिंचे चले आते हैं लोग?
Chhattisgarh News: तीरथगढ़ में प्राचीन शिव मंदिर भी है. पुजारी ने बताया, हजारों साल पहले यहां अपने वनवास के दौरान भगवान राम ने भगवान शिव का लिंग स्थापित कर आराधना की थी.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से बस्तर के वॉटरफॉल्स की खूबसूरती देखते ही बन रही है. खासकर चित्रकोट (Chitrakot Waterfall) और तीरथगढ़ वाटरफॉल्स (Tirathgarh Waterfall) का नजारा बेहद खूबसूरत हो गया है. लगभग 300 फिट ऊंचाई से गिरता तीरथगढ़ का झरना बरसात के मौसम में काफी खूबसूरत दिखाई देता है. वहीं आसपास के घने जंगलों के बीच मौजूद यह वॉटरफॉल बस्तर के नैसर्गिक सौंदर्य को दर्शाता है. मुनगाबहार नाले का बहता पानी इस वाटरफॉल से बहता है और फिर गोदावरी नदी में जाकर मिलता है. बारिश के मौसम की वजह से मुनगाबहार नाला पूरे उफान पर है और इस वाटरफॉल की खूबसूरती देखते ही बन रही है.
तीरथगढ़ के शिव मंदिर का इतिहास
दरअसल बस्तर जिले में मौजूद वाटरफॉल में से एक तीरथगढ़ वॉटरफॉल धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. तीरथगढ़ में प्राचीन शिव मंदिर भी है. यहां के पुजारी ने बताया कि हजारों साल पहले यहां भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान भगवान शिव का लिंग स्थापित कर शिव की आराधना की थी और तब से यह तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसे तीरथगढ़ कहा जाता है. घने जंगलों से घिरा जलप्रपात और यहां की चट्टाने हजारों साल पुरानी हैं. इन्ही चट्टानों को चीरते हुए यह वाटरफॉल कल कल करके बहता है.
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बड़ी संख्या में तीरथगढ़ पहुंच रहे पर्यटक
यही वजह है कि बस्तर घूमने आने वाले पर्यटक चित्रकोट के बाद तीरथगढ़ की खूबसूरती निहारने बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. बरसात के मौसम में मुनगाबाहर नाला उफान पर होने के चलते तीरथगढ़ में भी जलस्तर बढ़ गया है. इसे देखने बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. तीरथगढ़ वॉटरफॉल का पानी आगे बढ़कर कांगेर धारा और कोलाब नाले से होते हुए सीधे गोदावरी में जाकर मिल जाता है. यह वाटरफॉल राजधानी रायपुर से महज 340 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. तीरथगढ़ वॉटरफॉल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां 12 महीना मूनगाबहार नाला का पानी बहता रहता है और बरसात के मौसम में अपने पूरे शबाब पर दिखाई पड़ता है.
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