Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में पिछले कुछ सालों से तेजी से हो रहे धर्मांतरण ( Religious Conversion) को लेकर अब विभिन्न हिन्दू संगठन और आदिवासी समाज (Tribal Society) इसके विरोध में उतर आए हैं और लगातार हो रहे धर्मांतरण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. बस्तर जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक आदिवासी परिवार ने कुछ साल पहले ही क्रिश्चियन समुदाय (Christian community)  को अपनाया था और मंगलवार की सुबह इस परिवार में एक महिला सदस्य की मौत हो गई. मंगलवार की शाम परिजनों ने मृत महिला का शव क्रिशचन विधि विधान के साथ गांव की ही जमीन में दफना दिया.


विरोध में किया हाईवे जाम
गांव की रूढ़ि प्रथा से अलग दूसरे धर्म के विधि विधान के तहत किए गए इस अंतिम संस्कार के विरोध में बुधवार दोपहर डीलमिली पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने मृतक के शव को गांव में दफन किए जाने के विरोध में जगदलपुर से दंतेवाड़ा जाने वाले नेशनल हाईवे में 2 घंटे तक चक्का जाम कर दिया. विरोध प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों की मांग है कि उक्त शव को निकालकर संबंधित धर्म के कब्रिस्तान में दफनाया जाए.


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बनी हुई है तनाव की स्थिति
इधर ग्रामीणों द्वारा नेशनल हाईवे जाम करने की जानकारी मिलने के बाद मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल और प्रशासन की टीम पहुंची, जिसके बाद प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि 3 दिनों के अंदर इस मामले की जांच कर प्रशासन अपना रुख स्पष्ट कर देगा. प्रशासन के लिखित आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम खत्म  किया लेकिन अभी भी इस गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है.


इस वजह से ग्रामीण नाराज
ग्रामीणों ने बताया कि, आदिवासी समाज लगातार धर्मांतरण का विरोध कर रहा है और डिलमिली ग्राम पंचायत में कुछ साल पहले गांव के ही कुछ परिवारों ने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया है. उनका कहना है कि मुक्तिधाम हिंदुओं का है और हिंदू रीति रिवाज से ही यहां मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसे में वे नहीं चाहते हैं कि उनके मुक्तिधाम में कोई भी क्रिशचन समुदाय के लोग शव को क्रिश्चियन रीति रिवाज से दफनाएं, इसलिए इसके विरोध में डिलमिली ग्राम पंचायत के सभी ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर नेशनल हाईवे में चक्का जाम किया. ग्रामीणों ने कहा कि उनकी मांग है कि मुक्तिधाम में दफनाए गए महिला के शव को बाहर निकाला जाए और उसे कब्रिस्तान में दफनाया जाए.


प्रशासन ने मांगा 3 दिन का समय
इधर ग्रामीणों के आक्रोश को शांत कराने चक्का जाम के दौरान मौके पर प्रशासन की टीम पहुंची. प्रशासन के काफी मान मनौवल के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपना चक्का जाम बंद किया. बास्तानार के तहसीलदार ने बताया कि ग्रामीणों से इस मामले को लेकर 3 दिनों का समय मांगा गया है और इन 3 दिनों में मामले की जांच की जाएगी और उसके बाद जो भी उचित कार्यवाही होगी वह की जाएगी. फिलहाल गांव में तनाव की स्थिति पैदा ना हो इसके लिए पुलिस प्रशासन को पूरी तरह से अलर्ट रहने को कहा गया है.


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