बस्तर के आदिवासियों का देसी कोल्ड ड्रिंक, गर्मी में पेट के लिए मुफीद, जानिये कितनी है सेहतमंद?
Bastar News: आदिवासी छिंद के पेड़ की बेटे की तरह देखभाल करते हैं. चार से पांच साल बाद छिंद के पेड़ से रस निकलना शुरू हो जाता है. छिंद का रस आदिवासियों की आय का स्रोत भी है.
Chind Juice Benefits: अप्रैल में आसमान से आग का गोला बरस रहा है. छत्तीसगढ़ में तापमान 43 डिग्री के पार पहुंच गया है. बस्तर में चिलचिलाती धूप से लोग हलकान हैं. भीषण गर्मी में भी आदिवासी बीमार नहीं पड़ते हैं. उनकी सेहत का राज जंगलों से मिलने वाले वनोपज हैं. वनोपज को आदिवासी खाने और पेय पदार्थ में इस्तेमाल करते हैं. गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए छिंद रस का सेवन बढ़ जाता है. औषधीय गुणों से भरपूर छिंद रस गर्मी में कोल्ड ड्रिंक का काम करता है.
छिंद रस पीने से पेट और शरीर में ठंडक महसूस होती है. हालांकि ज्यादा मात्रा में पीने से नशा भी होता है. लेकिन गर्मी में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सेवन करते हैं. छिंद का रस ग्रामीणों की आय का स्रोत भी है. एक छिंद के पेड़ से ग्रामीण 6 हजार रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. हाट बाजार में ग्रामीण छिंद रस बेचने जाते हैं. बस्तर घूमने आने वाले विदेशी पर्यटक भी छिंद रस का लुफ्त उठाते हैं.
आय का स्रोत बना छिंद रस
खास बात है कि हर एक घर में छिंद का पेड़ होता है. पेड़ को आदिवासी ग्रामीण बेटे की तरह देखभाल करते हैं. चार से पांच साल बाद छिंद के पेड़ से रस निकलना शुरू हो जाता है. रस को बेचकर ग्रामीण अच्छी खासी कमाई करते हैं. इसके अलावा छिंद का रस गर्मी में पेट के लिए काफी लाभदायक होता है.
गर्मी में कोल्ड ड्रिंक का काम
गुंडाधुर कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक अनंत कुमार बताते हैं कि छिंद रस का सेवन पाचन क्रिया को दुरुस्त करने का काम करता है. खासकर गर्मी में सेवन करने से पेट सहित शरीर को काफी ठंडक पहुंचती है. यही वजह है कि आदिवासी गर्मी के मौसम में कोल्ड ड्रिंक या फ्रिज का ठंडा पानी नहीं बल्कि छिंद रस का सेवन करते हैं. हालांकि ज्यादा मात्रा में सेवन से इससे नशा जरूर होता है, लेकिन सेहत पर साइड इफेक्ट्स नहीं डालता है.
ज्यादा पीने से होता है नशा
ग्रामीणों ने अब छिंद रस से गुड़ भी बनाना शुरू कर दिया है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि गर्मी छिंद का एक पेड़ डेढ़ महीने तक रस देता है. इसके बाद पेड़ सूख जाता है. इसलिए आदिवासी अंचलों के ग्रामीण घरों और खेतों में ज्यादा से ज्यादा छिंद पौधों का रोपण करते हैं. वैवाहिक कार्यक्रम और घर में मेहमाननवाजी के लिए भी छिंद रस का इस्तेमाल होता है.
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