City Bus Service in Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) जिले के ग्रामीण अंचलों के लोगों को किफायती दाम में आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई सिटी बस सेवा (City Bus Services) योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. रख रखाव के अभाव में सिटी बसें निगम के यार्ड में खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील होती जा रहीं हैं. लिहाजा, ग्रामीण शहर आने-जाने के लिए महंगे दामों में सफर करने के लिए मजबूर है.
रख-रखाव के अभाव में हुए कबाड़
दरअसल, अब से करीब 10 वर्ष पहले बीजेपी शासनकाल में सिटी बस की शुरुआत की गई थी. इसका मकसद जगदलपुर शहर के अलावा ग्रामीण अंचल के लोगों को आवागमन की सुविधा के साथ सस्ते दामों में यात्री परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराना था. इस योजना के तहत जगदलपुर शहर को 12 से अधिक सिटी बसें मिली थी, लेकिन पिछले 6 सालों से इन बसों का संचालन बंद है. इसकी वजह से करोड़ों की बसें यार्ड में खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं.
व्यापार भी हो रहा है प्रभावित
सिटी बस सेवा शुरू होने के बाद बस्तर के ग्रामीण अंचलों के लोगों को इससे काफी सुविधा मिल रही थी. ग्रामीणों के अलावा कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी किफायती दाम में सिटी बस की सेवा मिल रही थी. इसके अलावा ग्रामीण इलाके से सिटी बस सेवा शुरू होने से ग्रामीण जगदलपुर शहर से सीधे जुड़ गए थे. लिहाजा, सिटी बस सेवा से ग्रामीण इलाकों के जुड़ जाने से व्यापार में भी बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन बीते कई सालों से सिटी बस रखरखाव और मेंटेनेंस के अभाव में कबाड़ में तब्दील होती जा रही है.
निजी बस संचालक करते हैं मनमानी
बताया जा रहा है कि इन बसों के रखरखाव सही तरीके से नहीं किए जाने की वजह से सभी बसे खड़े-खड़े कबाड़ हो गई हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में यात्रियों से निजी बस संचालक मनमानी किराया वसूल रहे हैं. थोड़ी दूर के सफर के लिए लोगों को इन बसों में नहीं बिठाया जाता है और अगर बैठाया भी जाता है, तो उनसे ज्यादा पैसा वसूला जाता है.
लोगों को आ रही है सिटी बस की याद
लोग सिटी बस सेवा को याद करते हुए कहते हैं कि सिटी बस के संचालन से आस-पास के गांव में जाने वालों को भी सुविधा मिल रही थी. इधर बस्तर के जानकारों का कहना है कि वर्तमान में इन सिटी बसों को संचालित करने के लिए कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहा है. ऐसे में इन बसों को पूरी तरह से दुरुस्त करवाकर बस्तर के बेरोजगारों को किराए पर संचालित करने के लिए दे दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके और लोगों को भी सुविधा मिल जाए.