Coffee Farming in Bastar: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में उद्यानिकी विभाग और हॉर्टिकल्चर कॉलेज (Horticulture College) के वैज्ञानिकों के सहयोग से ग्रामीण किसानों की तरफ से अपने खेतों में उगाई जा रही कॉफी पूरे प्रदेश में धूम मचा रही है. इस कॉफी की तेजी से डिमांड बढ़ी है. बस्तर जिले के दरभा (Darbha) क्षेत्र में प्रायोगिक तौर पर कॉफी की खेती किए जाने और इसे अच्छा रिस्पांस मिलने के बाद अब तेजी से उद्यानिकी विभाग और हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रामीण किसानों के खेतों में कॉफी की खेती कर रहे हैं.
दरअसल बस्तर की जलवायु को कॉफी की खेती के लिए अनुकूल पाया गया है और यही वजह है कि उद्यानिकी विभाग बड़े पैमाने पर कॉफी की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है और खेती का रकबा भी बढ़ाने जा रहा है. इस कॉफी को रायपुर और देश की राजधानी दिल्ली में बस्तर कैफे के नाम से बेचने की तैयारी चल रही है. इसकी पैकेजिंग और रिफायनिंग प्रोसेस को भी पूरी तरह से कमर्शियल किए जाने की तैयारी भी विभाग ने की है. बस्तर में कॉफी की खेती की पहचान बनाने के लिए उद्यानिकी विभाग और हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक भी पूरी तरह से जुटे हुए हैं.
राहुल गांधी ने दी थी ये सलाह
हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के पी सिंह ने बताया कि बस्तर की कॉफी को प्रदेश की टी-कॉफी बोर्ड ने चयनित करते हुए इसे रायपुर और दिल्ली में बस्तर कैफे के नाम से शुरू करने का फैसला लिया है. साथ ही हाल ही में रायपुर दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी बस्तर की कॉफी का स्वाद चखा था और इसकी जमकर तारीफ की थी. इतना ही नहीं बस्तर की कॉफी को पूरे देश में पहचान दिलाने के लिए इसे राज्य से बाहर ले जाने की भी सलाह दी थी. इसके बाद सरकार की ओर से इस पर ध्यान आकर्षित किया गया और अब बस्तर में ज्यादा से ज्यादा कॉफी का उत्पादन करने में उद्यानिकी विभाग और हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिक ग्रामीण किसानों के साथ उनके खेतो में इसके प्लांटेशन में जुटे हुए हैं.
अलग-अलग ब्लॉक में की जाएगी खेती
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक अजय कुशवाहा ने बताया कि विभाग को 4 महीने पहले भारत सरकार के कॉफी बोर्ड की तरफ से ओड़िशा के कोरापुट से लगभग 280 किलो कॉफी के बीज आवंटित किए गए थे. इन बीजों के माध्यम से करीब 6 लाख 80 हजार पौधे तैयार हो रहे हैं जो कि अगले महीने तक परिपक्व हो जाएंगे और इनसे बस्तर जिले के अलग-अलग ब्लॉक में खेती की जाएगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल यह कॉफी जगदलपुर के ही बस्तर कैफे में परोसी जा रही है.
100 एकड़ में शुरू की गई खेती
अजय कुशवाहा ने बताया कि दरभा गांव में की गई खेती से अब तक 8 हजार क्विंटल बीज का उत्पादन कर लिया गया है. आने वाले दिनों में इसकी मात्रा में और बढ़ोतरी होगी. वहीं दरभा में 20 एकड़ के बाद अब बास्तानार ब्लॉक के डिलमिली इलाके में 33 किसानों के करीब 100 एकड़ में इसकी खेती शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि बोर्ड से बीज आने के बाद विभाग खुद अपनी नर्सरी में इसके पौधे तैयार कर रहा है.
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