Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर में आरोप- प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, बुधवार (27 मार्च) को नामांकन सभा के दौरान मुख्यमंत्री के सामने कांग्रेसी मेयर सफिरा साहू समेत 5 कांग्रेसी पार्षदो ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, इसके बाद से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.


कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य और निगम सभापति कविता साहू ने सफिरा साहू पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं और उन्हें प्रदेश की सबसे भ्रष्ट महापौर बताया है. 


इसके साथ ही सुशील मौर्य और कविता साहू यह भी आरोप लगाया है कि महापौर निधि में किए गए करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार की फाइल खुलने के डर से सफिरा साहू ने बीजेपी का दामन थाम लिया. वहीं बीजेपी में एंट्री करने के बाद अब इस फाइल की जांच के लिए चुनाव से पहले हल्ला बोल रहे बीजेपी के पार्षदो ने भी अपना मुंह बंद कर लिया है.


मेयर पर करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप


कांग्रेस जिला अध्यक्ष और निगम सभापति ने महापौर साफिरा साहू पर मेयर फंड में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. साथ ही बीजेपी के पार्षदो के साथ ही निगम आयुक्त से मेयर फंड की फाइल की जांच की मांग की है.


दरअसल, कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य ने महापौर के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल होने से उन पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि महापौर सफीरा साहू की ओर से पिछले कुछ महीनों से लगातार सिर्फ बीजेपी पार्षदो के वार्डों में ही मेयर फंड से निर्माण कार्य कराया जा रहा था. कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों की उपेक्षा की जा रही थी.


मेयर फंड में गड़बड़ी के आरोप


कांग्रेस जिला अध्यक्ष और निगम सभापति ने कहा कि कई बार इसको लेकर मेयर से बातचीत भी की गई, इसके बावजूद भी वह अपनी मनमानी कर रही थी. खुद बीजेपी के पार्षदों ने मेयर फंड में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और उनकी फाइल की जांच की मांग नगर निगम के आयुक्त से की थी.


उसके बाद इस मामले में सभी ने चुप्पी साध ली और अब यह फाइल कहां है? इसकी किसी को भी जानकारी नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि पोल खुलने के डर से सफिरा साहू बीजेपी में शामिल हो गईं ताकि भ्रष्टाचार की फाइल हमेशा के लिए बंद हो जाए.


भ्रष्टाचार को लेकर सच्चाई सामने आनी चाहिए-कांग्रेस


सुशील मौर्य ने कहा कि महापौर निधि जनता का पैसा है. यह फ़ाइल जरूर खुलनी चाहिए और उनकी भ्रष्टाचार की सच्चाई सामने आनी चाहिए. इसके अलावा सुशील मौर्य ने यह भी कहा कि महापौर सफिरा साहू के साथ वरिष्ठ नेता यशवर्धन राव और अन्य 4 पार्षदों के कांग्रेस पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. मेयर समेत इन पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने से खुद भाजपाई इसका विरोध कर रहे हैं.


सफिरा साहू पर पार्षदों की खरीद फरोख्त का आरोप


वहीं, अंबेडकर वार्ड के कांग्रेसी पार्षद ने महापौर सफिरा साहू पर पार्षदों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है. पार्षद दीपा नाग ने दावा करते हुए कहा कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में क्रॉस वोटिंग के लिए मेयर सफिरा साहू ने उन्हें 2 लाख रुपये देने का ऑफर किया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और क्रॉस वोटिंग नहीं करने की बात कही. इसी तरह दूसरे कांग्रेसी पार्षदों से भी महापौर ने क्रॉस वोटिंग के लिए पैसे का ऑफर किया था.


सफिरा साहू का बीजेपी पार्षद ने किया बचाव


इधर, बीजेपी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मेयर सफिरा साहू का बचाव किया है. बीजेपी पार्षद और नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे ने कहा कि  महापौर सफिरा साहू और कांग्रेसी पार्षदो के बीजेपी में शामिल होने से बस्तर कांग्रेस कमेटी के पैरों तले जमीन खिसक गई है.


खुद भ्रष्टाचार में डूबे कांग्रेस के निगम अध्यक्ष कविता साहू और जिला अध्यक्ष महापौर पर झूठा आरोप लगा रहे हैं. संजय पांडे ने कहा कि मेयर फंड की फाइल की जांच निगम कमिश्नर को करना चाहिए इसमें बीजेपी किसी तरह की रोक-टोक नहीं कर रही है. विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी अपनी हार को देखते हुए कांग्रेस के नेता अर्नगल बयान बाजी कर रहे हैं.


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