Bastar Conversion Row : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिले में धर्मांतरण करने वाले ग्रामीणों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं.  गांव-गांव में धर्मांतरण करने वाले ग्रामीणों और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच लगातार   विवाद होने के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं अब धर्मान्तरित हो चुके ग्रामीणों के घर में मौत होने पर शव दफनाने को लेकर भी लगातार जिले के गांव गांव में विवाद बढ़ता ही जा रहा है.


महीने भर पहले तोकापाल ब्लॉक के भेजरीपदर गांव में क्रिश्चन समुदाय के परिवार में मृत महिला के शव दफन करने को लेकर दो समुदाय के बीच उपजा विवाद अभी शांत ही हुआ था कि, एक बार फिर से तोकापाल ब्लॉक के एर्राकोट गांव और दरभा ब्लॉक के करका गांव में क्रिश्चिन धर्म अपनाने वाले दो परिवारों के घर में हुई मौत के बाद उनके शव को गांव में दफनाने नहीं दिया गया. 


धर्म परिवर्तन करने से बढ़ रहा विवाद
मूलधर्म के आदिवासियों और विभिन्न हिंदू संगठनों ने गांव के कब्रिस्तान में शव को दफनाने देने से साफ इनकार कर दिया, जिसके चलते एक मृतक के शव को जगदलपुर और एक शव को करकापाल कब्रिस्तान में दफन किया गया. बस्तर जिले में पिछले कुछ महीनों से धर्मांतरण को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. यहां दो समुदायों के बीच मारपीट और हिंसा जैसे हालात बन रहे हैं. खासकर तोकापाल और बास्तानार ब्लॉक में हालात काफी बिगड़ रहे हैं. धर्म परिवर्तन कर चुके ग्रामीणों के घर में किसी की मौत होने पर उनके शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने नहीं देने से दोनों समुदाय में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है.


दरभा ब्लॉक के करका  गांव में एक बुजुर्ग महिला की मौत हुई. महिला के परिवार वालों ने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था. इस वजह से महिला के शव को गांव में दफनाने से मूल धर्म के आदिवासियों ने इसका विरोध किया. ग्रामीणों ने कहा कि अगर महिला के परिवार वाले धर्म वापसी करते हैं, तभी मृतर के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाने दिया जाएगा. इस फरमान के बाद गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न होने लगी.


शव दफनाने को लेकर आदिवासियों  का विरोध
इसके बाद करका में  पुलिस बल को भी तैनात किया गया, लेकिन मूल धर्म के आदिवासियों ने शव दफनाने को लेकर जमकर विरोध जताया. इसके चलते जगदलपुर शहर के करकापाल में महिला के शव को लाकर दफनाया गया. यही हालात तोकापाल ब्लॉक के एर्राकोट गांव में भी देखने को मिला, जहां 3 दिन पहले एक युवक लापता हो गया था. शुक्रवार को युवक का शव फांसी में लटकता हुआ मिला. युवक के परिजन गांव के ही कब्रिस्तान में युवक का शव दफनाना चाहते थे, लेकिन उनके धर्म परिवर्तन करने के चलते यहां भी मूलधर्म के आदिवासियों ने इसका विरोध किया. इसके चलते दोनों समुदायों के बीच विवाद की स्थिती उत्पन्न हुई.


यहां भी पुलिस ने दोनों समुदाय के लोग को समझाकर मामला को शांत करना चाहा. इस दौरान करीब डेढ़  दिनों तक युवक का शव डिमरापाल अस्पताल के मरचुरी में ही रखा रहा.  भारी विरोध के चलते पुलिस और युवक के परिवार वालों ने रविवार दोपहर को युवक के शव को जगदलपुर शहर के कब्रिस्तान में दफनाया. इधर लगातार मसीह समाज के पदाधिकारी गांव-गांव में उन्हें कब्रिस्तान बनाने के लिए  प्रशासन से जमीन देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही शवों को लेकर हर बार उत्पन्न हो रही विवाद की स्थिति को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं.


मूल धर्म के आदिवासी घर वापसी की कर रहे मांग
वहीं मूल धर्म के आदिवासियों का कहना है कि कुछ बाहरी लोग बस्तर के आदिवासियों को लालच देकर दूसरे धर्म में शामिल कर रहे हैं. ये जल्द से जल्द बंद होना चाहिए. साथ ही जितने भी ग्रामीणों ने दूसरे धर्म को अपनाया है, उनकी घर वापसी होनी चाहिए. तभी गांव में उनके परिवार में किसी की मृत्यु होने पर शवों को दफनाने दिया जाएगा. फिलहाल पुलिस प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि गांव में  विवाद के बाद दोनों मृतकों के शव को जगदलपुर के शहरी क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया है. फिलहाल अब ग्रामीण क्षेत्रों में शांति का माहौल बना हुआ है.


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